ये येरेमियस के शब्द हैं, जो बेनयामीन प्रान्त के अनातोत में निवास करने वाले याजक हिलकीया का पुत्र है। प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई दी "माता के गर्भ में तुम को रचने से पहले ही, मैंने तुम को जान लिया। तुम्हारे जन्म से पहले ही, मैंने तुम को पवित्र किया। मैंने तुम को राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।" मैंने कहा, "आह ! प्रभु-ईश्वर ! मुझे बोलना नहीं आता। मैं तो बच्चा हूँ।" परन्तु प्रभु ने उत्तर दिया, "यह न कहो मैं तो बच्चा हूँ। मैं जिन लोगों के पास तुम्हें भेजूंगा, तुम उनके पास जाओगे और जो कुछ तुम्हें बताऊँगा, तुम वही कहोगे। उन लोगों से मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा। यह प्रभु का कहना है।" तब प्रभु ने हाथ बढ़ा कर मेरा मुख स्पर्श किया और मुझ से यह कहा, "मैं तुम्हारे मुख में अपने शब्द रख देता हूँ। देखो ! उखाड़ने और गिराने, नष्ट करने और ढा देने, निर्माण करने और रोपने के लिए मैं आज तुम्हें राष्ट्रों तथा राज्यों पर अधिकार देता हूँ।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तेरे न्याय का बखान करूँगा।
1. हे प्रभु ! मैं तेरी शरण में आया हूँ। मुझे कभी निराश न होने दे। तू न्यायी है। तू मेरा उद्धार कर, तू मेरी सुन और मुझे बचा।
2. तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का शक्तिशाली गढ़ बन जा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है। हे मेरे ईश्वर ! मुझे दुष्टों के हाथ से छुड़ा।
3. हे प्रभु ! तू ही मेरा आसरा। मैं बचपन से तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ। मैं जन्म से तुझ पर ही निर्भर रहा हूँ, माता के गर्भ से मुझे तेरा सहारा मिला है।
<4>4. मैं प्रतिदिन तेरे न्याय और तेरी सहायता का बखान करूंगा। हे प्रभु! मुझे बचपन से ही तेरी शिक्षा मिली है। मैं अब तक तेरे महान् कार्य घोषित करता रहा हूँ।अल्लेलूया ! बीज ईश्वर का वचन है और बोने वाले हैं मसीह। जो उन्हें पाता है, वह अनन्तकाल तक जीता रहेगा। अल्लेलूया !
येसु किसी दिन घर से निकल कर समुद्र के किनारे जा बैठे। उनके पास इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी कि वह नाव पर चढ़ कर बैठ गये और सारी भीड़ तट पर बनी रही। वह दृष्टान्तों द्वारा उन्हें बहुत-सी बातें समझाने लगे। उन्होंने कहा, "सुनो! कोई बोने वाला बीज बोने निकला। बोते-बोते कुछ बीज रास्ते के किनारे गिरे और आकाश के पक्षियों ने आ कर उन्हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें अधिक मिट्टी नहीं मिली। वे जल्दी ही उग गये, क्योंकि उनकी मिट्टी गहरी नहीं थी। सूरज चढ़ने पर वे झुलस गये और जड़ न होने के कारण सूख गये। कुछ बीज काँटों में गिरे और काँटों ने बढ़ कर उन्हें दबा दिया। कुछ बीज अच्छी भूमि में गिरे और फल लाये - कुछ सौ-गुना, कुछ साठ-गुना और कुछ तीस-गुना। जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।"
प्रभु का सुसमाचार।