वर्ष का सोलहवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 2

पहला पाठ

नबी येरेमियस का ग्रन्थ 3:14-17

"मैं तुम्हें अपने मन के अनुकूल चरवाहों को प्रदान करूँगा। सभी राष्ट्र येरुसालेम में एकत्र हो जायेंगे।"

प्रभु यह कहता है – हे विद्रोही पुत्रो ! मेरे पास लौट आओ। मैं ही तुम्हारा स्वामी हूँ। मैं तुम लोगों को, सब नगरों और राष्ट्रों से निकाल कर, सियोन में वापस ले आऊँगा। मैं तुम्हें अपने मन के अनुकूल चरवाहों को प्रदान करूँगा, जो विवेक और बुद्धिमानी से तुम्हें चरायेंगे। प्रभु यह कहता है जब देश में तुम लोगों की संख्या बहुत बढ़ेगी और तुम्हारी बड़ी उन्नति होगी, तब कोई भी प्रभु के विधान की मंजूषा की चरचा नहीं करेगा। कोई भी उसे याद नहीं करेगा। किसी को उसका अभाव नहीं खटकेगा और उसके स्थान पर कोई दूसरी मंजूषा नहीं बनायी जायेगी। उस समय येरुसालेम 'प्रभु का सिंहासन' कहलायेगा। सभी राष्ट्र प्रभु के नाम पर येरुसालेम में एकत्र हो जायेंगे। वे फिर कभी अपने दुष्ट और हठीले हृदय की वासनाओं के अनुसार नहीं चलेंगे।

प्रभु की वाणी।

भजन : येरेमियस 31:10-13

अनुवाक्य : चरवाहा जिस तरह अपने झुण्ड की रक्षा करता है, उसी तरह प्रभु हमारी रक्षा करेगा।

1. हे राष्ट्रो ! प्रभु का वचन सुनो। सुदूर द्वीपों तक यह घोषित करो "जिसने इस्राएल को बिखेरा, वही उसे एकत्र करेगा और उसकी रक्षा करेगा, जैसा कि चरवाहा अपने झुण्ड की रक्षा करता है।"

2. क्योंकि प्रभु ने याकूब का उद्धार किया और उसे उसके शक्तिशाली शत्रु के पंजे से छुड़ाया। वे लौट कर सियोन पर्वत पर आनन्द के गीत गायेंगे और प्रभु को दान देने आयेंगे।

3. तब कुँवारियाँ उल्लसित हो कर नृत्य करेंगी, नवयुवक और वृद्ध मिल कर आनन्द मनायेंगे। मैं उनका शोक आनन्द में बदल दूँगा और उन्हें सांत्वना प्रदान करूँगा।

सुसमाचार

जयघोष

अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो सच्चे और निष्कपट हृदय से वचन सुन कर सुरक्षित रखते हैं और अपने धीरज के कारण फल लाते हैं। अल्लेलूया !

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 13:18-23

"जो वचन सुनता और समझता है और फल लाता है।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "अब तुम लोग बोने वाले का दृष्टान्त सुनो। यदि कोई राज्य का वचन सुनता है लेकिन समझता नहीं, तब जो उसके मन में बोया गया था, उसे शैतान आ कर ले जाता है : यह वह है, जो रास्ते के किनारे बोया गया है। जो पथरीली भूमि में बोया गया है : यह वह है, जो वचन सुनते ही प्रसन्नता से ग्रहण करता है; परन्तु उस में जड़ नहीं है और वह थोड़े ही दिन दृढ़ रहता है। वचन के कारण संकट या अत्याचार आ पड़ने पर वह तुरन्त विचलित हो जाता है। जो काँटों में बोया गया है : यह वह है, जो वचन सुनता है; परन्तु संसार की चिन्ता और धन का मोह वचन को दबा देता है और वह फल नहीं लाता। जो अच्छी भूमि में बोया गया है: यह वह है जो वचन सुनता और समझता है और फल लाता है – कोई सौ-गुना, कोई साठ-गुना और कोई तीस-गुना।

प्रभु का सुसमाचार।