वर्ष का सत्रहवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 2

पहला पाठ

नबी येरेमियस का ग्रन्थ 15:10,16-21

"मेरी पीड़ा का अन्त क्यों नहीं होता?" "यदि तुम अपने शब्द वापस लोगे, तो फिर मेरी सेवा करोगे।"

हे माता ! आपने मुझे क्यों जन्म दिया ! धिक्कार है मुझे, क्योंकि सारा देश मुझ से लड़ता-झगड़ता है। मैं न तो किसी को उधार देता और न किसी से उधार लेता हूँ, फिर भी सब मुझे कोसते हैं। तेरी वाणी मुझे प्राप्त हुई और मैं उसे तुरन्त निगल गया। वह मेरे लिए आनन्द और उल्लास का विषय थी। क्योंकि तूने मुझे अपनाया, हे विश्वमंडल के प्रभु-ईश्वर ! मैंने कभी मनोरंजन करने वालों की मंडली में बैठ कर आनन्द नहीं मनाया। मैं तुझ से आविष्ट हो कर एकांत में जीवन बिताता रहा, क्योंकि तूने मुझ में अपना क्रोध भर दिया था। मेरी पीड़ा का अन्त क्यों नहीं होता? मेरा घाव क्यों नहीं भरता? तू मेरे लिए उस अविश्वसनीय नदी के सदृश है, जिस में सदा पानी नहीं रहता। इस पर प्रभु ने यह उत्तर दिया, "यदि तुम अपने शब्द वापस लोगे, तो मैं तुम्हें स्वीकार करूँगा और तुम फिर मेरी सेवा करोगे। यदि तुम नीच भाषा नहीं, बल्कि सुयोग्य भाषा का प्रयोग करोगे, तो फिर मेरे प्रवक्ता बनोगे।" "वे लोग फिर तुम्हारे पास आयेंगे; तुम को उनके पास नहीं जाना है। मैं तुम को उस प्रजा के लिए काँसे की अजेय दीवार बनाऊँगा। वे तुम पर आक्रमण करेंगे, किन्तु तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं कर पायेंगे; क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारी सहायता और रक्षा करूँगा। यह प्रभु की वाणी है: मैं तुम को उग्र लोगों के पंजे से छुड़ाऊँगा।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 58:2-5,10-11,17-18

अनुवाक्य : ईश्वर संकट के समय मेरा शरणस्थान है।

1. हे मेरे ईश्वर ! शत्रुओं से मुझे छुड़ा, आक्रमणकारियों से मेरी रक्षा कर। कुकर्मियों के पंजे से मुझे छुड़ा, हत्यारों से मेरी रक्षा

2. कर। वे मुझे मारने के लिए घात लगा कर बैठते हैं, शक्तिशाली लोग मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रचते हैं। हे प्रभु! मैंने न तो कोई पाप किया और न कोई अपराध।

3. तू ही मेरा बल है। तुझ पर ही भरोसा है, क्योंकि तू ही मेरा गढ़ है। तू ही आ कर मुझ पर दया करेगा।

4. मैं तो तेरे सामर्थ्य का बखान करूँगा, मैं प्रतिदिन तेरे प्रेम का गीत गाता हूँ। तू ही सदा मेरा गढ़ रहा है और संकट के समय मेरा शरणस्थान।

5. तू ही मेरा बल है तुझ पर ही भरोसा है। ईश्वर ही मेरा गढ़ है। ईश्वर मुझे प्यार करता है।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है।" अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 13:44-45

"वह सब कुछ बेच कर उस खेत को मोल लेता है।"

येसु ने लोगों से यह कहा, "स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए खजाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्य पाता है और दुबारा छिपा देता है। तब वह उमंग में जाता है और सब कुछ बेच कर उस खेत को खरीद लेता है।" "फिर, स्वर्ग का राज्य उत्तम मोती खोजने वाले व्यापारी के सदृश है। एक बहुमूल्य मोती मिल जाने पर वह जाता है और अपना सब कुछ बेच कर उस मोती को मोल लेता है।"

प्रभु का सुसमाचार।