प्रभु की वाणी यह कहती हुई येरेमियस को सुनाई पड़ी, "उठो और कुम्हार के घर जाओ। वहाँ, मैं तुम्हें अपना संदेश दूँगा।" मैं कुम्हार के घर गया, जो चाक पर काम कर रहा था। वह जो बरतन बना रहा था, जब वह उसके हाथ में बिगड़ जाता था, तो वह उसी मिट्टी से अपनी पसन्द का दूसरा बरतन बनाता था। तब प्रभु की यह वाणी मुझे सुनाई पड़ी, "प्रभु यह कहता है : हे इस्राएलियो ! क्या मैं इस कुम्हार की तरह तुम्हारे साथ व्यवहार नहीं कर सकता? हे इस्राएलियो ! कुम्हार के हाथ में जैसे मिट्टी है, वैसे ही तुम भी मेरे हाथ में हो।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य है वह, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है।
1. मेरी आत्मा प्रभु की स्तुति करे। मैं जीवन भर प्रभु की स्तुति करूँगा, अपने ईश्वर के आदर में सदा ही गीत गाता रहूँगा।
2. न तो शासकों का भरोसा करो और न किसी मनुष्य का। वे कर ही क्या सकते हैं? वे प्राण निकलते ही मिट्टी में लौट जाते और उसी दिन उसकी सब योजनाएँ व्यर्थ हो जाती हैं।
3. धन्य है वह, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, जो अपने प्रभु-ईश्वर पर भरोसा रखता है। उसी प्रभु ने स्वर्ग और पृथ्वी बनायी, समुद्र भी और जो कुछ उस में है।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हमारे हृदय का द्वार खोल दे, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा स्वीकार करें। अल्लेलूया !
येसु ने लोगों से यह कहा, "स्वर्ग का राज्य समुद्र में डाले हुए जाल के सदृश है, जो हर तरह की मछलियाँ बटोर लाता है। जाल के भर जाने पर मछुए उसे किनारे पर खींच लेते हैं। तब वे बैठ कर अच्छी मछलियाँ चुन-चुन कर बरतनों में जमा करते हैं और रद्दी मछलियाँ फेंक देते हैं। संसार के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत जा कर धर्मियों में से दुष्टों को अलग करेंगे और उन्हें आग के कुंड में झोंक देंगे। वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।" "क्या तुम लोग ये सब बातें समझ गये हो?" शिष्यों ने उत्तर दिया, "जी हाँ।" येसु ने उन से कहा, "प्रत्येक शास्त्री, जो स्वर्ग के राज्य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्थ के सदृश है, जो अपने खजाने में से नयी और पुरानी चीजें निकालता है।" येसु ये दृष्टान्त समाप्त करने के बाद वहाँ से चले गये।
प्रभु का सुसमाचार।