वर्ष का अट्ठारहवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 2

पहला पाठ

नबी येरेमियस का ग्रन्थ 30:1-2,12-15,18-22

"तुम्हारे असंख्य अपराधों और पापों के कारण मैंने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया है। मैं याकूब के तम्बुओं को फिर खड़ा करूँगा।"

प्रभु की वाणी यह कहती हुई येरेमियस को सुनाई पड़ी : "इस्राएल का प्रभु-ईश्वर यह कहता है। मैंने जो कुछ तुम से कहा, वह सब एक पुस्तक में लिख लो। प्रभु यह कहता है : तुम्हारी बीमारी कभी अच्छी नहीं होगी। तुम्हारे घावों का कोई इलाज नहीं है। तुम्हारे फोड़ों पर कोई पत्ती नहीं बाँधता, तुम्हारे घाव नहीं भरेंगे। तुम्हारे सभी प्रेमियों ने तुम को भुला दिया; वे तुम्हारी कोई परवाह नहीं करते, क्योंकि तुम्हारे असंख्य अपराधों और पापों के कारण मैंने तुम को शत्रु की तरह मारा और घोर दण्ड दिया है। तुम अपने घावों पर क्यों रोते हो? तुम्हारी बीमारी का कोई इलाज नहीं। तुम्हारे असंख्य अपराधों और पापों के कारण ही मैंने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया है। "प्रभु यह कहता है : मैं याकूब के तम्बुओं को फिर खड़ा करूँगा। मैं उसके घरों पर दया करूँगा। खंडहरों पर नगर का पुनर्निर्माण होगा और अपने पुराने स्थान पर गढ़ का पुनरुद्धार होगा। उन में से स्तुतिगान और आनन्दोत्सव की ध्वनि सुनाई देगी। मैं उनकी संख्या बढ़ाऊँगा, वह फिर कभी नहीं घटेगी। मैं उन्हें सम्मान प्रदान करूँगा, उनका फिर कभी तिरस्कार नहीं किया जायेगा। उनकी सन्तति पहले जैसी होगी और उनका समुदाय मेरे सामने बना रहेगा। मैं उनके सब अत्याचारियों को दण्ड दूँगा। उन में से एक उनका शासक बनेगा और उनके बीच में से उनका राजा उत्पन्न होगा। मैं स्वयं उन्हें अपने पास बुलाऊँगा और वे मेरे पास आयेंगे, क्योंकि कोई भी अपने आप मेरे पास आने का साहस नहीं करता। यह प्रभु की वाणी है। तुम मेरी प्रजा होगे और मैं तुम्हारा ईश्वर होऊँगा।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 101:16-21,29,22-23

अनुवाक्य : प्रभु सियोन का पुनर्निर्माण करेगा और अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट हो जायेगा।

1. जब प्रभु सियोन का पुनर्निर्माण करेगा और अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट हो जायेगा, तो सभी राष्ट्र उसके नाम पर श्रद्धा रखेंगे और पृथ्वी के समस्त राजा उसके प्रताप के सामने झुकेंगे। वह दीन-दुःखियों की प्रार्थना सुनेगा, वह उनकी प्रार्थनाओं का तिरस्कार नहीं करेगा।

2. भावी पीढ़ी के लिए यह लिखा जाये, ताकि नवीन राष्ट्र प्रभु की स्तुति करे। प्रभु ने अपने ऊँचे तथा पवित्र स्थान से फुक कर देखा और स्वर्ग से पृथ्वी पर दृष्टि दौड़ायी, जिससे वह बंदियों की कराह सुने और मरने वालों को मुक्त कर दे।

3. तेरे भक्तों के पुत्र सुरक्षा में निवास करेंगे और उनका वंश तेरे सामने बना रहेगा, जिससे सियोन में प्रभु के नाम की चरचा हो और येरुसालेम में उसकी स्तुति होती रहे, जब पृथ्वी भर के सभी राष्ट्र प्रभु की पूजा के लिए मिल कर एक हो जायेंगे।

जयघोष

अल्लेलूया ! गुरुवर ! आप ईश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:22-36

"मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए।"

लोगों के तृप्त हो जाने के बाद येसु ने अपने शिष्यों को इसके लिए बाध्य किया कि वे नाव पर चढ़ कर उन से पहले उस पार चले जायें; इतने में वह स्वयं लोगों को विदा कर देंगे। येसु लोगों को विदा कर एकांत में प्रार्थना करने के लिए पहाड़ी पर चढ़े। संध्या होने पर वह वहाँ अकेले थे। नाव उस समय तट से दूर जा चुकी थी। वह लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि वायु प्रतिकूल थी। रात के चौथे पहर येसु समुद्र पर चलते हुए शिष्यों के पास आये। जब उन्होंने येसु को समुद्र पर चलते हुए देखा, तो वे बहुत घबरा गये और यह अट्ठारहवाँ सप्ताह बुधवार 535 कह कर, "यह कोई प्रेत है", डर के मारे चिल्लाने लगे। येसु ने तुरन्त उन से कहा, "धीरज धरो; मैं ही हूँ। डरो मत।" पेत्रुस ने उत्तर दिया, "प्रभु ! यदि आप ही हैं, तो मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए।” येसु ने कहा, "आ जाओ।" पेत्रुस नाव से उतर गया और पानी पर चलते हुए येसु की ओर बढ़ा; किन्तु वह प्रचंड वायु देख कर डर गया और जब डूबने लगा, तो चिल्ला उठा, "प्रभु ! मुझे बचाइए।" येसु ने तुरन्त हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया और कहा, “रे अल्पविश्वासी ! तुम्हें सन्देह क्यों हुआ?" वे नाव पर चढ़े और वायु थम गयी। जो नाव में थे, उन्होंने यह कहते हुए येसु को दण्डवत् किया, "सचमुच आप ईश्वर के पुत्र हैं !" वे पार उतर कर गेनेसरेत पहुँच गये। वहाँ के लोगों ने येसु को पहचान लिया और आसपास के सब गाँवों में इसकी ख़बर फैला दी। वे सब रोगियों को येसु के पास ले आये और उन से अनुनय-विनय करने लगे कि वह उन्हें कपड़े का पल्ला भर छूने दें। जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब के सब भले-चंगे हो गये।

प्रभु का सुसमाचार।

वैकल्पिक सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 15:1-2,10-14

"जो पौधा मेरे स्वर्गिक पिता ने नहीं रोपा है, वह उखाड़ा जायेगा।"

येरुसालेम के कुछ फ़रीसी और शास्त्री किसी दिन येसु के पास आ कर कहने लगे, "आपके शिष्य पुरखों की परम्परा क्यों तोड़ते हैं? वे तो बिना हाथ धोये रोटी खाते हैं?" येसु ने लोगों को पास बुला कर कहा, "तुम लोग मेरी बात सुनो और समझो। जो मुँह में आता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता; बल्कि जो मुँह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध कर देता है।" बाद में शिष्य आ कर येसु से कहने लगे, "क्या आप जानते हैं कि फ़रीसी आप की बात सुन कर बहुत बुरा मान गये हैं?" येसु ने उत्तर दिया, "जो पौधा मेरे स्वर्गिक पिता ने नहीं रोपा है, वह उखाड़ा जायेगा। उन्हें रहने दो; वे अंधों के अंधे पथप्रदर्शक हैं। यदि अंधा अंधे को ले चले, तो दोनों ही गड्ढे में गिर जायेंगे।"

प्रभु का सुसमाचार।