वर्ष का अट्ठारहवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 2

पहला पाठ

नबी नहूम का ग्रन्थ 2:1,3; 3:1-3,6-7

"धिक्कार है उस रक्तपिपासु नगर को !"

“देखो ! संदेशवाहक पर्वतों पर आ रहा है, वह शांति घोषित करने आ रहा है। हे यूदा ! अपने पर्व मनाओ और अपनी मन्नतें पूरी करो। कुकर्मी फिर कभी तुम पर आक्रमण नहीं करेगा उसका सर्वनाश हो गया है। लुटेरों ने याकूब और इस्त्राएल को उजाड़ा और उनकी दाखबारियों को नष्ट किया है, किन्तु प्रभु याकूब और इस्राएल को उनका प्राचीन वैभव लौटा देगा। धिक्कार है रक्तपिपासु निनिवे को ! वह झूठ और लूट से कूट-कूट कर भरा हुआ है और लूटपाट से बाज नहीं आता। सुनो - चाबुक की फटकार, पहियों की खड़खड़ाहट, घोड़ों की टाप और रथों की घरघराहट। देखो घोड़ों का सरपट, तलवारों की दमक और भालों की चमक। कितने ही घायल और कितने ही मारे हुए ! असंख्य शव पड़े हुए हैं लोग उन पर ठोकर खा कर गिर रहे हैं। मैं तुझ पर कीचड़ उछालूँगा, तुझे अपमानित करूँगा और काठ में तेरे पाँव जकड़ दूँगा। जो तुझ पर दृष्टि डालेगा, वह मुँह फेर कर कहेगा - "निनिवे का सर्वनाश हो गया है। कौन उस पर दया करेगा? तुझे सान्त्वना देने वालों को मैं कहाँ से ले आऊँ?"

प्रभु की वाणी।

भजन : विधि-विवरण 32:35-36,39,41

अनुवाक्य : मैं ही जीवन और मरण का विधाता हूँ।

1. उन लोगों की विपत्ति का दिन निकट है, उनका सर्वनाश शीघ्र ही होने वाला है। क्योंकि प्रभु अपनी प्रजा को न्याय दिलायेगा, वह अपने सेवकों पर दया करेगा।

2. देखो, मैं ही तुम्हारा ईश्वर हूँ, मेरे अतिरिक्त और कोई देवता नहीं है। मैं ही जीवन और मरण का विधाता हूँ, मैं मारता भी हूँ और चंगा भी करता हूँ।

3. जब मैं अपनी चमचमाती तलवार तेज कर चुका होऊँगा, तो मैं न्याय के पक्ष में मैदान में उतरूँगा, मैं अपने विरोधियों को बदला चुकाऊँगा और अपने बैरियों का प्रतिकार करूँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं - स्वर्गराज्य उन्हीं का है। अल्लेलूया।

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 16:24-28

"अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है?"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "यदि कोई मेरा अनुसरण करना चाहे, तो वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा। मनुष्य को इस से क्या लाभ यदि वह सारे संसार को प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गँवा दें? अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है? क्योंकि मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा सहित आयेगा और वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्म का फल देगा। मैं तुम से कहे देता हूँ- यहाँ कुछ ऐसे लोग विद्यमान हैं जो तब तक नहीं मरेंगे, जब तक वे मानव पुत्र को राजकीय प्रताप के साथ आता हुआ न देख लें।"

प्रभु का सुसमाचार।