वर्ष का उन्नीसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

नबी एज़ेकिएल का ग्रन्थ 1:2-5,24-28

"प्रभु की महिमा इस प्रकार प्रकट हुई।"

राजा यहोयाकीम के निर्वासन के पंचम वर्ष में, चौथे महीने के पाँचवें दिन, खल्दैयिओं के देश में, कबार नदी के तट पर याजक, बूजी के पुत्र एज़ेकिएल को प्रभु की वाणी सुनाई पड़ी और वहाँ प्रभु का हाथ उस पर पड़ा। मैंने देखा कि उत्तर की ओर से आँधी आ रही है: प्रकाशमंडल से घिरा हुआ एक विशाल मेघपुंज आ रहा है। उस में से आग निकल रही थी और वह पीतल जैसा चमकता था। बादल में चार प्राणी दिखाई पड़ने लगे और उनका रूपरंग मनुष्यों जैसा था। मैंने उनके पंखों की आवाज सुनी। जब वे चलने लगे तो वह आवाज़ प्रचण्ड जलप्रवाह की गड़गड़ाहट, सर्वशक्तिमान् के गर्जन या सेना के पड़ाव के कोलाहल के समान थी। जब वे रुकते, तो वे अपने पंख नीचे कर देते थे। उनके सिरों के ऊपर आकाशमंडल फैला हुआ था और उस पर सिंहासन जैसा एक नीलमणि दिखाई देता था, जिस पर मनुष्य के आकार का कोई बैठा हुआ था। कमर के ऊपर उसका शरीर अग्नि में चमकते हुए पीतल जैसा था और कमर के नीचे उसका शरीर अग्नि के सदृश था, जिसमें से प्रकाश फैल रहा था। चारों ओर फैला हुआ प्रकाश वर्षा के दिनों में बादलों में दिखाई पड़ने वाले इन्द्रधनुष जैसा था। प्रभु की महिमा इस प्रकार प्रकट हुई। यह देख कर मैं मुँह के बल गिर पड़ा। तब मुझे एक वाणी सुनाई पड़ी।

📖भजन : स्तोत्र 148:1-2,11-14

अनुवाक्य : तेरी महिमा स्वर्ग और पृथ्वी में व्याप्त है।

1. स्वर्ग में प्रभु की स्तुति हो, उच्च लोक में प्रभु की स्तुति हो। प्रभु के दूत उसकी स्तुति करें, समस्त विश्वमंडल प्रभु की स्तुति करे।

2. पृथ्वी के राजा तथा समस्त राष्ट्र, पृथ्वी के क्षत्रप तथा सभी शासक, नवयुवक तथा नवयुवतियाँ, वृद्ध और बालक प्रभु की स्तुति करें।

3. वे सब के सब प्रभु की स्तुति करें, क्योंकि उसका नाम महान् है। उसके नाम का प्रताप आकाश और पृथ्वी से परे है।

4. वह अपनी प्रजा को बल प्रदान करता है। उसके सभी भक्त, इस्राएल की सन्तान तथा उसकी शरण में रहने वाली प्रजा, सब के सब उसकी स्तुति करते रहते हैं।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर ने सुसमाचार द्वारा हमें हमारे प्रभु येसु मसीह की महिमा का भागी बना दिया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:22-27

"वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा। पुत्र कर से मुक्त हैं।"

जब वे गलीलिया में साथ-साथ घूमते थे, तो येसु ने किसी दिन अपने शिष्यों से कहा, "मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जायेगा। वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा।" यह सुन कर शिष्यों को बहुत दुःख हुआ। वे कफ़रनाहूम आये थे। मंदिर के कर उगाहने वालों ने पेत्रुस के पास आ कर पूछा, "क्या तुम्हारे गुरु मंदिर का कर नहीं देते?" उसने उत्तर दिया, "देते हैं।" जब पेत्रुस घर पहुँचा तो उसके कुछ कहने से पहले ही येसु ने पूछा, "सिमोन ! तुम्हारा क्या विचार है? दुनिया के राजा किन लोगों से चुंगी अथवा कर लेते हैं अपने ही पुत्रों से अथवा परायों से?" पेत्रुस ने उत्तर दिया, "परायों से।” इस पर येसु ने उस से कहा, "तब तो पुत्र कर से मुक्त हैं। फिर भी हम उन लोगों को बुरा उदाहरण न दें; इसलिए तुम समुद्र के किनारे जा कर वंसी डालो। जो मछली पहले फँसे, उसे पकड़ लो और उसका मुँह खोल दो। उस में तुम्हें एक सिक्का मिलेगा। उसे ले लो और मेरे तथा अपने लिए उन को दे दो।"

प्रभु का सुसमाचार।