वर्ष का उन्नीसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

नबी एज़ेकिएल का ग्रन्थ 16:1-15,60-63

"मैंने तुम को अपूर्व गौरव प्रदान किया, किन्तु तुमने व्यभिचार किया।"

प्रभु की वाणी मुझे यह कहती हुई सुनाई दी, "मनुष्य के पुत्र ! येरुसालेम को उसके बीभत्स कर्मों का विवरण सुनाओ। उस से कहो : प्रभु-ईश्वर येरुसालेम से यह कहता है। वंश और जन्म की दृष्टि से तुम कनानी हो। तुम्हारा पिता अभारी था और तुम्हारी माता हित्ती थी। जन्म के समय तुम्हारी नाल नहीं काटी गयी, शुद्धीकरण के हेतु तुम को पानी से नहीं नहलाया गया। लोगों ने तुम्हारे शरीर पर नमक नहीं लगाया और तुम को कपड़ों में नहीं लपेटा। किसी ने भी तुम्हारे लिए यह सब करने की परवाह नहीं की। किसी को भी तुम पर ममता नहीं हुई। तुम्हारे जन्म के दिन तुम को घृणित समझ कर खुले मैदान में छोड़ दिया गया।" "उस समय मैं तुम्हारे पास से हो कर जा रहा था। मैंने तुम को तुम्हारे अपने रक्त में लोटता हुआ देखा और तुम से, जो अपने रक्त से सनी हुई थी, कहा जीती रहो, जीती रहो। तुम मेरी देख-रेख में खेत के फूल की तरह बढ़ती गयी। तुम बढ़ कर बड़ी हो गयी। तुम बहुत सुन्दर थी। तुम्हारे स्तन उठने और तुम्हारे केश बढ़ने लगे, किन्तु तुम उस समय तक नग्न और विवस्त्र थी।" "जब मैं दुबारा तुम्हारे पास से हो कर गया, तो मैंने देखा कि तुम विवाह-योग्य हो गयी हो। मैंने अपने वस्त्र का पल्ला तुम पर डालकर तुम्हारा नग्न शरीर ढक दिया। मैंने शपथ खा कर तुम को अपनाया और तुम मेरी हो गयी। यह प्रभु की वाणी है। मैंने तुम को पानी से नहलाया, तुम पर लगा हुआ रक्त धो डाला और तुम पर तेल का विलेपन किया। मैंने तुम को बेल-बूटेदार कपड़े और बढ़िया चमड़े के जूते पहनाये। मैंने तुम को छालटी का सरबन्द और रेशमी वस्त्र प्रदान किये। मैंने तुम को आभूषण पहनाये, तुम्हारे हाथों में कंगन और तुम्हारे गले में हार डाला। मैंने तुम्हारी नाक में नथ लगाया, तुम्हारे कानों में बालियाँ पहनायी और तुम्हारे सिर पर मुकुट रख दिया। तुम सोने और चाँदी से अलंकृत थी। तुम छालटी, रेशम और बेल-बूटेदार कपड़े पहनती थी। तुम्हारा भोजन मैदे, मधु और तेल से बनता था। तुम राजरानी के सदृश अत्यन्त सुन्दर हो गयी। तुम्हारे सौन्दर्य की ख्याति संसार भर में फैल गयी, क्योंकि मैंने तुम को अपूर्व गौरव प्रदान किया था। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है। "किन्तु तुम्हारे सौन्दर्य ने तुम को बहका दिया। तुम अपनी ख्याति का दुरुपयोग करते हुए व्यभिचार करने लगी। तुमने किसी भी बटोही को अपना सौन्दर्य बेच दिया।" “यह सब होते हुए भी मैं उस प्रतिज्ञा को याद रखूँगा जो मैंने तुम्हारी जवानी के दिनों में तुम से की थी। मेरा और तुम्हारा सम्बन्ध सदा के लिए बना रहेगा। जब तुम अपना अतीत याद करोगी, तो तुम लज्जा के मारे एक शब्द भी कहने का साहस नहीं करोगी, क्योंकि मैंने तुम्हारे सभी अपराध क्षमा कर दिये। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।"

प्रभु की वाणी।

वैकल्पिक पहला पाठ

नबी एज़ेकिएल का ग्रन्थ 16:59-63
“मैं अपनी प्रतिज्ञा याद रखूँगा और तुम लज्जित होगी।"

प्रभु-ईश्वर यह कहता है - तुमने अपनी शपथ तोड़ कर मेरे साथ अपना सम्बन्ध भंग किया, इसलिए मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करूँगा। फिर भी मैं उस प्रतिज्ञा को याद रखूँगा, जो मैंने तुम्हारी जवानी के दिनों तुम से की थी। मेरा और तुम्हारा सम्बन्ध सदा के लिए बना रहेगा। यद्यपि मैं अपनी प्रतिज्ञा के कारण इसके लिए बाध्य नहीं हूँ, फिर भी मैं तुम्हारी बड़ी और छोटी बहनों को तुम को पुत्रियों के रूप में प्रदान करूँगा। उस समय तुम अपने अपराधों का स्मरण करते हुए लज्जित होगी। मैं तुम्हारे साथ अपना सम्बन्ध बनाये रखूँगा और तुम जान जाओगी कि मैं प्रभु हूँ। जब तुम अपना अतीत याद करोगी, तो तुम लज्जा के मारे एक भी शब्द कहने का साहस नहीं करोगी, क्योंकि मैंने तुम्हारे सभी अपराध क्षमा कर दिये। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : इसायस 12:2-6

अनुवाक्य : तेरा क्रोध शांत हो गया और तूने मुझे सान्त्वना दी।

1. ईश्वर मेरा उद्धार करेगा। वही मेरा भरोसा है। अब मैं नहीं डरूंगा, क्योंकि प्रभु मेरा बल है और मेरे गीत का विषय। वही मेरा उद्धार करेगा। तुम आनन्दित हो कर मुक्ति के स्रोत में से जल भरोगे।

2. प्रभु का धन्यवाद करो, उसके नाम की स्तुति करो। राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो; उसके नाम की महिमा गाओ।

3. प्रभु की स्तुति करो; उसने चमत्कार दिखाये हैं। पृथ्वी भर उनका बखान करने जाओ। सियोन की प्रजा ! प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ। तुम्हारे बीच रहने वाला इस्राएल का परमपावन ईश्वर महान् है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर का संदेश, मनुष्य का नहीं, बल्कि जैसा कि वास्तव में है - ईश्वर का वचन समझ कर, स्वीकार करें। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 19:3-12

"मूसा ने तुम्हारे हृदय की कठोरता के कारण ही तुम्हें पत्नी को त्यागने की अनुमति दी है।"

फ़रीसी येसु के पास आये और उनकी परीक्षा लेते हुए उन्होंने यह प्रश्न किया, "क्या किसी भी कारण से अपनी पत्नी को त्याग देना उचित है?" येसु ने उत्तर दिया, "क्या तुम लोगों ने यह नहीं पढ़ा कि सृष्टिकर्ता ने प्रारंभ ही से उन्हें नर-नारी बनाया और कहा कि इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्नी के साथ रहेगा, और वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे? इस तरह अब वे दो नहीं, बल्कि एक शरीर हैं। इसलिए जिसे ईश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग नहीं करे।" उन्होंने येसु से कहा, "तब मूसा ने पत्नी को त्यागते समय त्यागपत्र देने का आदेश क्यों दिया है?" येसु ने उत्तर दिया, "मूसा ने तुम्हारे हृदय की कठोरता के कारण ही तुम्हें पत्नी को त्यागने की अनुमति दी है, किन्तु प्रारंभ से ऐसा नहीं था। मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि व्यभिचार को छोड़ किसी अन्य कारण से जो अपनी पत्नी को त्याग देता और किसी दूसरी स्त्री से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है।" शिष्यों ने येसु से कहा, "यदि पति और पत्नी का संबंध ऐसा है, तो विवाह नहीं करना ही अच्छा है।" येसु ने उन से कहा, "सब यह बात नहीं समझते, केवल वे ही समझते हैं जिन्हें यह वरदान मिला है; क्योंकि कुछ लोग माता के गर्भ से नपुंसक उत्पन्न हुए हैं, कुछ लोगों को मनुष्यों ने नपुंसक बना दिया है, और कुछ लोगों ने स्वर्गराज्य के निमित्त अपने को नपुंसक बना लिया है। जो समझ सकता है, वह समझ ले।"

प्रभु का सुसमाचार।