प्रभु की वाणी मुझे यह कहती हुई सुनाई दी, "तुम लोग इस्राएल देश के विषय में यह कहावत क्यों दोहराते हो उन्नीसवाँ सप्ताह - शनिवार बाप-दादों ने खट्टे अंगूर खाये और बच्चों के दाँत खुरदरे हो गये? "प्रभु-ईश्वर यह कहता है - अपने अस्तित्व की शपथ ! कोई भी इस्राएली यह कहावत फिर नहीं दोहरायेगा ! सभी आत्माएँ मेरी ही हैं। पिता की आत्मा मेरी है और पुत्र की आत्मा भी। जो व्यक्ति पाप करता है, वही मरेगा।" "यदि कोई मनुष्य धार्मिक है और संहिता तथा न्याय के अनुसार आचरण करता है; यदि वह पहाड़ी पूजा-स्थानों में भोजन नहीं करता और इस्राएली प्रजा की देवमूर्तियों की ओर आँख उठा कर नहीं देखता; यदि वह परायी स्त्री का शील भंग नहीं करता और ऋतुमती स्त्री के पास नहीं जाता; यदि वह किसी पर अत्याचार नहीं करता, अपने कर्जदार को उधार लौटाता और किसी का धन नहीं चुराता; यदि वह भूखों को भोजन और नंगों को कपड़े देता; यदि वह ब्याज ले कर उधार नहीं देता, सूदखोरी अथवा अन्याय नहीं करता और दो पक्षों का उचित न्याय करता है; यदि वह मेरे विधान के अनुसार आचरण करता और मेरे नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करता है, तो ऐसा धार्मिक मनुष्य जीवित रहेगा यह प्रभु ईश्वर की वाणी है।" "किन्तु यदि उस से एक ऐसा पुत्र उत्पन्न हो, जो हत्यारा बन जाये, तो क्या वह पुत्र जीवित रहेगा? कभी नहीं ! वह अपने कुकर्मों के कारण अवश्य मर जायेगा और उनका रक्त उसी के सिर पड़ेगा।" "प्रभु-ईश्वर यह कहता है, हे इस्राएल के घराने ! मैं हर एक का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करूँगा। तुम मेरे पास लौट कर अपने सब पापों को त्याग दो, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे अपराधों के कारण तुम्हारा विनाश हो जाये। अपने पुराने पापों का भार फेंक दो। एक नया हृदय और एक नया मनोभाव धारण करो। प्रभु-ईश्वर यह कहता है- हे इस्राएलियो ! तुम क्यों मरना चाहते हो? मैं किसी भी मनुष्य की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता। इसलिए तुम मेरे पास लौट कर जीते रहो।"
अनुवाक्य : हे ईश्वर ! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर।
1. हे ईश्वर ! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर और मेरा मन सुदृढ़ बना। अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर अपने पवित्र आत्मा को मुझ से न हटा।
2. मुक्ति का आनन्द मुझे फिर प्रदान कर और उदारता में मेरा मन सुदृढ़ बना। मैं विधर्मियों को तेरे मार्ग की शिक्षा दूँगा और पापी तेरे पास लौट आयेंगे।
3. तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता; यदि मैं होम चढ़ाता, तो तू उसे स्वीकार नहीं करता। मेरा पश्चात्ताप ही मेरा बलिदान होगा। तू पश्चात्तापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।
अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !
प्रभु का सुसमाचार।