"हे सूखी हड्डियो ! प्रभु की वाणी सुनो। मैं तुम लोगों को क़ब्रों से निकाल कर इस्राएल की धरती पर वापस ले जाऊँगा।" प्रभु का हाथ मुझे छू गया और प्रभु के आत्मा ने मुझे ले जा कर एक घाटी में उतार दिया, जो हड्डियों से भरी हुई थी। उसने मुझे उनके बीच चारों ओर घुमाया। वे हड्डियाँ बड़ी संख्या में घाटी के धरातल पर पड़ी हुई थीं और एकदम सूख गयी थीं, उसने मुझ से कहा, "हे मनुष्य ! क्या इन हड्डियों में फिर जीवन आ सकता है?" मैंने उत्तर दिया, "हे प्रभु-ईश्वर ! तू ही जानता है।" इस पर उसने मुझ से कहा, "इन हड्डियों से भविष्यवाणी करो। इन से यह कहो, 'हे सूखी हड्डियों ! प्रभु की वाणी सुनो। प्रभु-ईश्वर इन हड्डियों से यह कहता है – मैं तुम में प्राण डालूँगा, और तुम जीवित हो जाओगी। मैं तुम पर स्नायुएँ लगाऊँगा, तुम में मांस भरूँगा, तुम पर चमड़ा चढ़ाऊँगा। तुम में प्राण डालूँगा, तुम जीवित हो जाओगी और तुम जानोगी कि मैं प्रभु हूँ।' मैं उसके आदेश के अनुसार भविष्यवाणी करने लगा। मैं भविष्यवाणी कर ही रहा था कि एक खड़खड़ाती आवाज सुनाई पड़ी और वे हड्डियाँ एक दूसरी से जुड़ने लगीं। मैं देख रहा था कि उन पर स्नायुएँ लगीं, उन में मांस भर गया, उन पर चमड़ा चढ़ गया, किन्तु उन में प्राण नहीं थे। उसने मुझ से कहा, 'हे मनुष्य ! प्राण-वायु को संबोधित कर भविष्यवाणी करो। यह कह कर भविष्यवाणी करो - प्रभु-ईश्वर यह कहता है। हे प्राणवायु ! चारों दिशाओं से आओ और इन मृतकों में प्राण फूंक दो, जिससे इन में जीवन आ जाये।" मैंने उसके आदेशानुसार भविष्यवाणी की और उन में प्राण आये। वे पुनर्जीवित हो कर अपने पैरों पर खड़ी हो गयीं वह एक विशाल बहुसंख्यक सेना थी। तब उसने मुझ से कहा, "हे मनुष्य ! ये हड्डियाँ समस्त इस्राएली हैं। वे कहते रहते हैं – हमारी हड्डियाँ सूख गयी हैं। हमारी आशा टूट गयी है। हमारा सर्वनाश हो गया है। तुम उन से कहोगे, 'प्रभु यह कहता है – मैं तुम्हारी क़ब्रों को खोल दूँगा। हे मेरी प्रजा ! मैं तुम लोगों को क़ब्रों से निकाल कर इस्राएल की धरती पर वापस ले जाऊँगा। हे मेरी प्रजा ! जब मैं तुम्हारी क़ब्रों को खोल कर तुम लोगों को उन में से निकालूँगा, तो तुम लोग जान जाओगे कि मैं ही प्रभु हूँ। मैं तुम्हें अपना आत्मा प्रदान करूँगा और तुम में जीवन आ जायेगा। मैं तुम्हें तुम्हारी अपनी धरती पर बसाऊँगा और तुम लोग जान जाओगे कि मैंने, जो प्रभु हूँ, यह कहा और पूरा भी किया।
प्रभु की वाणी।
📖भजन : स्तोत्र 106:2-9
अनुवाक्य : प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। (अथवा : अल्लेलूया !)
1. प्रभु का प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है - यही वे लोग कहते रहें, जिन्हें ईश्वर ने बचाया, शत्रु के पंजे से छुड़ा लिया और पूर्व तथा पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, दूर-दूर देशों से एकत्र किया है।
2. कुछ उजाड़ प्रदेश तथा मरुभूमि में भटक गये थे, उन्हें बसे हुए नगर का रास्ता नहीं मिल रहा था। वे भूखे और प्यासे थे, उनके प्राण निकल रहे थे।
3. उन्होंने अपने संकट में प्रभु की दुहाई दी और उसने उन्हें संकट से छुड़ाया। वह उन्हें सही रास्ते से ले गया और वे बसे नगर तक पहुँचे।
4. वे प्रभु को धन्यवाद दें - उसके प्रेम के लिए और मनुष्यों के लिए उसके चमत्कारों के लिए क्योंकि उसने प्यासे को पिलाया और भूखे को तृप्त किया है।
📒जयघोष
अल्लेलूया ! हे मेरे ईश्वर ! मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल। अल्लेलूया !
📙सुसमाचार
मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 22:34-40
"अपने प्रभु-ईश्वर को प्यार करो और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।"
जब फ़रीसियों ने यह सुना कि येसु ने सदूकियों का मुँह बन्द कर दिया था, तो वे इकट्ठे हो गये और उन में से एक शास्त्री ने येसु की परीक्षा लेने के लिए उन से पूछा, "गुरुवर? संहिता में सब से बड़ी आज्ञा कौन-सी है !” येसु ने उस से कहा, "अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो। यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है। दूसरी आज्ञा इसी के सदृश है अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन्हीं दो आज्ञाओं पर समस्त संहिता और नबियों की शिक्षा अवलंबित हैं।"