स्वर्गदूत मुझे पूर्वी फाटक तक ले गया। और मैंने पूर्व की ओर से आती हुई इस्राएल के ईश्वर की महिमा देखी। उसके साथ-साथ समुद्र-गर्जन की सी आवाज़ सुनाई पड़ी और पृथ्वी उसकी महिमा से आलोकित हो उठी। जो दृश्य मैं देख रहा था, वह उसी के सदृश था जिसे मैंने उस समय देखा था जब प्रभु नगर का विनाश करने आया था और उस दृश्य के सदृश, जिसे मैंने कबार नदी के पास देखा था। मैं मुँह के बल गिर पड़ा। ईश्वर की महिमा पूर्वी फाटक से होकर मंदिर में आ पहुँची। आत्मा मुझे उठा कर मंदिर के भीतरी प्रांगण में ले गया और मैंने देखा कि मंदिर प्रभु की महिमा से भरा जा रहा है। वह व्यक्ति मेरी बगल में खड़ा रहा और मैंने मंदिर में से किसी को मुझ से यह कहते सुना, "मनुष्य के पुत्र ! यही मेरे सिंहासन का स्थान है। यही मेरा पावदान है। मैं सदा के लिए इस्त्राएलियों के बीच निवास करूँगा।"
अनुवाक्य : प्रभु की महिमा हमारे देश में निवास करेगी।
1. प्रभु-ईश्वर जो कहता है, मैं वह सुनना चाहता हूँ। वह अपनी प्रजा को, अपने भक्तों को तथा पश्चात्तापियों को शांति का संदेश सुनाता है। जो उस पर श्रद्धा रखते हैं, उनके लिए मुक्ति निकट है। उसकी महिमा हमारे देश में निवास करेगी।
2. दया और सच्चाई, न्याय और शांति- ये एक दूसरे से मिल जायेंगे। सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगेगी और न्याय स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि करेगा।
3. प्रभु हमें सुख-शांति प्रदान करेगा और पृथ्वी फल उत्पन्न करेगी। न्याय उसके आगे-आगे चलेगा और शांति उसके पीछे-पीछे आती रहेगी।
अल्लेलूया ! तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। तुम्हारा एक ही आचार्य है अर्थात् मसीह। अल्लेलूया !
येसु ने जनसमूह तथा अपने शिष्यों से कहा, "शास्त्री और फ़रीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं, इसलिए वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो, परन्तु उनके कर्मों का अनुसरण न करो, क्योंकि वे कहते तो हैं, पर करते नहीं। वे बहुत-से भारी बोझ बाँध कर लोगों के कंधों पर लाद देते हैं, परन्तु स्वयं उँगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते। वे हर काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही करते हैं। वे अपने तावीज़ चौड़े और अपने कपड़ों के झब्बे लम्बे कर देते हैं। भोज़ों में प्रमुख स्थानों पर और सभागृहों में प्रथम आसनों पर विराजमान होना, बाज़ारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना और जनता द्वारा गुरुवर कहलाना यह सब उन्हें बहुत पसन्द है।" "तुम लोग 'गुरुवर' कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है और तुम सब के सब भाई हो। पृथ्वी पर किसी को अपना 'पिता' न कहो, क्योंकि तुम्हारा, एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। 'आचार्य' भी कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही आचार्य है अर्थात् मसीह। जो तुम लोगों में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवक बने। जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।"
प्रभु का सुसमाचार।