हमारे पिता ईश्वर और प्रभु येसु मसीह पर आधारित थेसलिनीकियों की कलीसिया के नाम पौलुस, सिलवानुस और तिमथी का पत्र। पिता-ईश्वर और प्रभु येसु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शांति प्रदान करें। भाइयो ! आप लोगों के विषय में ईश्वर को निरन्तर धन्यवाद देना हमारा उचित कर्त्तव्य है, क्योंकि आप लोगों का विश्वास बहुत अच्छी तरह फल-फूल रहा है और आप सबों में से प्रत्येक का दूसरों के प्रति प्रेम बढ़ता जा रहा है। इसलिए हम ईश्वर की कलीसियाओं में आप लोगों पर गौरव करते हैं, क्योंकि आप धैर्य और विश्वास के साथ हर प्रकार का अत्याचार और कष्ट सहन करते हैं। इसके द्वारा ईश्वर का वह निर्णय न्यायोचित सिद्ध हो जाता है, जो आप को ईश्वर के राज्य के योग्य समझेगा, जिसके लिए आप सब दुःख उठाते हैं। ईश्वर आप को अपने बुलावे के योग्य बना दे और आपकी प्रत्येक सदिच्छा तथा विश्वास से किया हुआ आपका प्रत्येक कार्य अपनी शक्ति से पूर्णता तक पहुँचा दे। इस प्रकार हमारे ईश्वर की और प्रभु येसु मसीह की कृपा के द्वारा हमारे प्रभु येसु का नाम आप में गौरवान्वित होगा और आप लोग भी उन में गौरवान्वित होंगे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ।
1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ। समस्त पृथ्वी ! प्रभु का भजन सुनाओ। भजन गाते हुए प्रभु का नाम धन्य कहो।
2. दिन-प्रतिदिन उसका मुक्ति-विधान घोषित करते जाओ। सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो। सभी लोगों को उसके प्रभु ने आकाश अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ।
3. प्रभु महान् है और अत्यन्त प्रशंसनीय। अन्य राष्ट्रों के देवता निस्सार हैं – हमारा प्रभु ही परमश्रद्धेय है। का निर्माण किया है।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।" अल्लेलूया !
येसु ने यह कहा “ऐ ढोंगी शास्त्रियो और फ़रीसियो ! धिक्कार तुम लोगों को ! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग का राज्य बन्द कर देते हो। तुम स्वयं प्रवेश नहीं करते और जो प्रवेश करना चाहते हैं, उन्हें रोक देते हो।" “ऐ ढोंगी शास्त्रियो और फ़रीसियो ! धिक्कार तुम लोगों को ! एक चेला बनाने के लिए तुम जल और थल लाँघ जाते हो और जब वह चेला बन जाता है, तो उसे अपने से दुगुना नारकी बना देते हो।" "ऐ अंधे नेताओ ! धिक्कार तुम लोगों को ! तुम कहते हो यदि कोई मंदिर की शपथ खाता है, तो इसका कोई महत्त्व नहीं; परन्तु यदि कोई मंदिर के सोने की शपथ खाता है, तो वह बंध जाता है। रे मूर्खा और अंधो ! कौन बड़ा है सोना अथवा मंदिर जिस से वह सोना पवित्र हो जाता है ! तुम यह भी कहते हो यदि कोई वेदी की शपथ खाता है, तो इसका कोई महत्त्व नहीं; परन्तु यदि कोई वेदी पर रखे हुए दान की शपथ खाता है, तो वह बँध जाता है। रे अंधो ! कौन बड़ा है दान अथवा वेदी जिस से वह दान पवित्र हो जाता है? इसलिए जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी और उस पर रखी चीजों की शपथ खाता है। जो मंदिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उस में निवास करने वाले की शपथ खाता है और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह ईश्वर के सिंहासन और उस पर बैठने वाले की शपथ खाता है।"
प्रभु का सुसमाचार।