मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने नहीं, बल्कि सुसमाचार का प्रचार करने भेजा है। मैंने इस कार्य में अलंकृत भाषा का उपयोग नहीं किया, जिससे मसीह के क्रूस के संदेश का प्रभाव फीका न पड़ जाये। जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं, वे क्रूस की शिक्षा को 'मूर्खता' समझते हैं, किन्तु हम लोगों के लिए, जो मुक्ति के मार्ग पर चलते हैं, वह ईश्वर का सामर्थ्य है। क्योंकि लिखा है - मैं ज्ञानियों का ज्ञान नष्ट करूँगा और समझदारों की चतुराई व्यर्थ कर दूँगा। ज्ञानी, शास्त्री और इस संसार के दार्शनिक ये कहाँ हैं? क्या ईश्वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खतापूर्ण नहीं प्रमाणित किया? ईश्वर की प्रज्ञा का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा ईश्वर को नहीं पहचान सका। इसलिए ईश्वर ने सुसमाचार की 'मूर्खता' द्वारा विश्वासियों को बचाना चाहा। यहूदी चमत्कार माँगते और यूनानी ज्ञान चाहते हैं, किन्तु हम क्रूस पर आरोपित मसीह का ही प्रचार करते हैं। यह यहूदियों के विश्वास में बाधा है और गैरयहूदियों के लिए 'मूर्खता'। किन्तु मसीह चुने हुए लोगों के लिए, चाहे वे यहूदी हों या युनानी, ईश्वर का सामर्थ्य और ईश्वर की प्रज्ञा हैं। क्योंकि ईश्वर की 'मूर्खता' मनुष्यों से अधिक विवेकपूर्ण है और ईश्वर की दुर्बलता मनुष्यों से अधिक शक्तिशाली।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : पृथ्वी प्रभु के प्रेम से भरपूर है।
1. हे धर्मियो ! प्रभु में आनन्द मनाओ। स्तुतिगान करना भक्तों के लिए उचित है। वीणा बजाते हुए प्रभु का धन्यवाद करो, सारंगी पर उसका स्तुतिगान करो।
2. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वसनीय हैं। उसे धार्मिकता तथा न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है।
3. प्रभु राष्ट्रों की योजनाएँ व्यर्थ करता और उनके उद्देश्य पूरे नहीं होने देता है, किन्तु उसकी अपनी योजनाएँ चिरस्थायी हैं, उसके अपने उद्देश्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी बने रहते हैं।
अल्लेलूया ! जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खड़ा होने योग्य बन जाओ। अल्लेलूया ! *
येसु ने अपने शिष्यों को यह दृष्टान्त सुनाया, "उस समय स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के सदृश होगा, जो अपनी-अपनी मशाल ले कर दुलहे की अगवानी करने निकलीं। उन में से पाँच नासमझ थीं, और पाँच समझदार। नासमझ अपनी मशाल के साथ तेल नहीं लायीं। समझदार अपनी मशाल के साथ-साथ कुप्पियों में तेल भी लायीं। दुलहे के आने में देर हो जाने पर सब ऊँघने लगीं और सो गयीं। आधी रात को आवाज आयी, 'देखो, दुलहा आ रहा है। उसकी अगवानी करने जाओ।' तब सब कुँवारियाँ उठीं और अपनी-अपनी मशाल सँवारने लगीं। नासमझ कुँवारियों ने समझदारों से कहा, 'अपने तेल में से थोड़ा हमें दे दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझ रही हैं।' समझदारों ने उत्तर दिया, 'क्या जाने कहीं हमारे और तुम्हारे लिए तेल पूरा न हो। अच्छा हो, तुम लोग दुकान जा कर अपने लिए खरीद लो।' वे तेल खरीदने गयी ही थीं कि दुलहा आ पहुँचा। जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह-भवन में प्रवेश कर गयीं और द्वार बन्द हो गया। बाद में दूसरी कुँवारियाँ भी आ कर कहने लगीं, 'हे प्रभु ! हे प्रभु ! हमारे लिए द्वार खोल दीजिए।' इस पर उसने उत्तर दिया, 'मैं तुम से कहे देता हूँ मैं तुम्हें नहीं जानता।' इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न तो वह दिन जानते हो और न वह घड़ी।"
प्रभु का सुसमाचार।