लोग हमें मसीह के सेवक और ईश्वर के रहस्यों के प्रबन्धकर्त्ता समझें। अब प्रबन्धकर्त्ता से यह आशा की जाती है कि वह ईमानदार निकले। मेरे लिए इस बात का कोई महत्त्व नहीं कि आप लोग अथवा मनुष्यों का कोई न्यायालय मुझे योग्य समझे। मैं स्वयं भी अपना न्याय नहीं करता। मैं अपने में कोई दोष नहीं पाता, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं निर्दोष हूँ। प्रभु ही मेरे न्यायकर्त्ता हैं। इसलिए प्रभु के आने तक कोई किसी का न्याय नहीं करे। वह अन्धकार के रहस्य प्रकाश में लायेंगे और हृदयों के गुप्त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को ईश्वर की ओर से यथायोग्य श्रेय दिया जायेगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु धर्मियों का उद्धार करता है।
1. यदि तुम प्रभु पर भरोसा रख कर भला करोगे, तो स्वदेश में सुरक्षित रह सकोगे। यदि तुम प्रभु में अपना आनन्द पाओगे, तो वह तुम्हारा मनोरथ पूरा करेगा।
2. प्रभु को अपना जीवन अर्पित करो, उस पर भरोसा रखो और वह तुम्हारी रक्षा करेगा। तुम्हारी धार्मिकता उषा की तरह चमकेगी, तुम्हारा न्याय दिन के प्रकाश की तरह प्रकट हो जायेगा।
3. बुराई से बचते रहो, भलाई करते रहो और तुम सदा ही सुरक्षित रहोगे, क्योंकि प्रभु को धार्मिकता प्रिय है; वह अपने मित्रों को कभी नहीं त्यागता।
4. प्रभु धर्मियों का उद्धार करता और संकट के समय उनकी रक्षा करता है। प्रभु उनकी सहायता करता और उन्हें बचाता है। वे प्रभु का आश्रय पा कर सुरक्षित रहते हैं।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।" अल्लेलूया !
फ़रीसियों और शास्त्रियों ने येसु से कहा, "योहन के शिष्य बारंबार उपवास करते हैं और प्रार्थना में लगे रहते हैं और फ़रीसियों के शिष्य भी ऐसा ही करते हैं, किन्तु आपके शिष्य खाते-पीते हैं।" येसु ने उन से कहा, "क्या जब तक दुलहा उनके साथ है, तुम बरातियों से उपवास करा सकते हो? किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दुलहा उन से बिछुड़ जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे।" येसु ने उन्हें यह दृष्टान्त भी सुनाया, "कोई नया कपड़ा फाड़ कर पुराने कपड़े में पैवंद नहीं लगाता। नहीं तो वह नया कपड़ा फाड़ देता है और नये कपड़े का पैवंद पुराने कपड़े के साथ मेल भी नहीं खाता। और कोई पुरानी मशकों में नयी अंगूरी नहीं भरता। नहीं तो नयी अंगूरी मशकों को फाड़ देगी, अंगूरी बह जायेगी और मशकें भी बरबाद हो जायेंगी। नयी अंगूरी को नयी मशकों में ही भरना चाहिए।" "कोई पुरानी अंगूरी पी कर नयी नहीं चाहता। वह तो कहता है, 'पुरानी ही अच्छी है'।"
प्रभु का सुसमाचार।