वर्ष का तेईसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 6:1-11

"भाई अपने भाई पर अविश्वासियों की अदालत में मुकदमा चलाता है।"

यदि आप लोगों में कोई आपसी झगड़ा हो, तो आप न्याय के लिए सन्तों के पास नहीं, बल्कि अधर्मियों के पास जाने का साहस कैसे कर सकते हैं ? क्या आप यह नहीं जानते कि सन्त संसार का न्याय करेंगे ? यदि आप को संसार का न्याय करना है, तो क्या आप छोटे-से-छोटे मामलों का फैसला करने योग्य नहीं हैं ? क्या आप यह नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे ? तो फिर साधारण जीवन के मामलों की बात ही क्या ? यदि आप लोगों में साधारण जीवन के मामलों के बारे में कोई झगड़ा हो, तो आप क्यों ऐसे लोगों को पंच बनाते हैं, जो कलीसिया की दृष्टि में नगण्य हैं ? मैं आप को लज्जित करने के लिए यह कह रहा हूँ। क्या आप लोगों में एक भी समझदार व्यक्ति विद्यमान नहीं है, जो अपने भाइयों का न्याय कर सकता है ? इसकी क्या जरूरत है कि भाई अपने भाई पर अविश्वासियों की अदालत में मुकदमा चलाये ? वास्तव में पहला दोष यह है कि आप एक दूसरे पर मुकदमा चलाते हैं ! इसकी अपेक्षा आप अन्याय क्यों नहीं सह लेते ? अपनी हानि क्यों नहीं होने देते ? उलटे, आप स्वयं अन्याय करते और दूसरों को हानि पहुँचाते हैं और वे आपके भाई हैं! क्या आप यह नहीं जानते कि अन्याय करने वाले ईश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे ? धोखा मत खाइए ! व्यभिचारी, मूर्तिपूजक, परस्त्रीगामी, लौण्डे और पुरुषगामी, चोर, लोभी, शराबी, निन्दक और धोखेबाज ईश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे। आप लोगों में से कुछ ऐसे ही थे। किन्तु आप लोगों ने स्नान किया है, आप पवित्र किये गये और प्रभु येसु मसीह के नाम पर और हमारे ईश्वर के आत्मा के द्वारा आप पापमुक्त किये गये हैं।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 149:1-6,9

अनुवाक्य : प्रभु अपनी प्रजा को प्यार करता है।

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ, भक्तों की मंडली में उसकी स्तुति करो। इस्राएल अपने सृष्टिकर्त्ता में आनन्द मनाये, सियोन के पुत्र अपने राजा का जयकार करें

2. वे नृत्य करते हुए उसका नाम धन्य कहें, डफली और सितार बजाते हुए उसकी स्तुति करें; क्योंकि प्रभु अपनी प्रजा को प्यार करता और पद्दलितों का उद्धार करता है

3. प्रभु के भक्त विजय के गीत सुनायें और अपने यहाँ आनन्द मनायें । वे ईश्वर की स्तुति करते रहें। इस में सभी भक्तों का गौरव है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें चुना है जिससे तुम जा कर फल उत्पन्न करो, और तुम्हारा फल बना रहे ।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:12-19

"वह रात भर प्रार्थना में लीन रहे। उन्होंने बारह को चुन कर उनका नाम 'प्रेरित' रखा।"

उन दिनों येसु प्रार्थना करने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़े और वह रात भर ईश्वर की प्रार्थना में लीन रहे। दिन होने पर उन्होंने अपने शिष्यों को पास बुलाया और उन में से बारह को चुन कर उनका नाम 'प्रेरित' रखा सिमोन (जिसे उन्होंने पेत्रुस नाम दिया) और उसके भाई अंद्रेयस को; याकूब और योहन को; फिलिप और बरथोलोमी को; मत्ती और थोमस को; अलफाई के पुत्र याकूब और सिमोन को, जो 'उत्साही' कहलाता है; याकूब के पुत्र यूदस इसकारियोती को, जो विश्वासघाती निकला । येसु उनके साथ उतर कर एक मैदान में खड़े हो गये। वहाँ उनके बहुत-से शिष्य थे और समस्त यहूदिया तथा येरुसालेम का और समुद्र के किनारे तीरुस तथा सिदोन का विशाल जनसमूह भी था, जो उनका उपदेश सुनने और अपने रोगों से मुक्त होने के लिए आया था। येसु ने अपदूतग्रस्त लोगों को चंगा किया। सभी लोग येसु को स्पर्श करने का प्रयत्न कर रहे थे, क्योंकि उन से शक्ति निकल रही थी और सब को चंगा कर रही थी।

प्रभु का सुसमाचार।