वर्ष का तेईसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 10:14-22

"अनेक होने पर भी हम एक हैं; क्योंकि हम सब एक ही रोटी के सहभागी हैं।"

प्रिय भाइयो ! आप मूर्तिपूजा से दूर रहें। मैं आप लोगों को समझदार समझ कर यह कह रहा हूँ, आप स्वयं मेरी बातों पर विचार करें। क्या आशिष का वह प्याला, जिस पर हम आशिष की प्रार्थना पढ़ते हैं, हमें मसीह के रक्त के सहभागी नहीं बनाता? क्या वह रोटी, जिसे हम तोड़ते हैं, हमें मसीह के शरीर के सहभागी नहीं बनाती? रोटी तो एक ही है, इसलिए अनेक होने पर भी हम एक हैं; क्योंकि हम सब एक ही रोटी के सहभागी हैं। इस्राएलियों को देखिए ! क्या बलि खाने वाले वेदी के सहभागी नहीं हैं? मैं यह नहीं कहता कि देवता को चढ़ाये हुए मांस की कोई विशेषता है अथवा यह कि देवमूर्ति का कुछ महत्त्व है। किन्तु धर्मग्रन्थ के अनुसार गैरयहूदियों के बलिदान ईश्वर को नहीं, बल्कि अपदूतों को चढ़ाये जाते हैं। मैं यह नहीं चाहता कि आप लोग अपदूतों के सहभागी बनें। आप प्रभु का प्याला और अपदूतों का प्याला, दोनों नहीं पी सकते । आप प्रभु की मेज और अपदूतों की मेज, दोनों के सहभागी नहीं बन सकते । क्या हम प्रभु को चुनौती देना चाहते हैं? क्या हम उस से बलवान् हैं?

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 115:12-13,17-18

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तुझे धन्यवाद का बलिदान चढ़ाऊँगा । (अथवा : अल्लेलूया !)

1. प्रभु के सब उपकारों के लिए मैं उसे क्या दे सकता हूँ? मैं मुक्ति का प्याला उठा कर प्रभु का नाम लूँगा।

2. मैं प्रभु का नाम लेते हुए धन्यवाद का बलिदान चढाऊँगा, प्रभु की सारी प्रजा के सामने प्रभु के लिए अपनी मन्नतें पूरी करूँगा ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:43-49

"जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो 'हे प्रभु ! हे प्रभु !' कह कर मुझे क्यों पुकारते हो?"
<>येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "कोई भी अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं देता और न कोई बुरा पेड़ अच्छा फल देता है। हर पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। लोग न तो कँटीली झाड़ियों से अंजीर तोड़ते हैं और न ऊँटकटारों से अंगूर । अच्छा मनुष्य अपने हृदय के अच्छे भंडार से अच्छी चीजें निकालता है और जो बुरा है, वह अपने बुरे भंडार से बुरी चीजें निकालता है; क्योंकि जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।" "जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कह कर मुझे क्यों पुकारते हो? जो मेरे पास आ कर मेरी बातें सुनता और उन पर चलता है- जानते हो, वह किसके सदृश है? वह उस मनुष्य के सदृश है, जो घर बनाते समय गहरा खोदता है और उसकी नींव चट्टान पर डालता है। बाढ़ आती है और जलप्रवाह उस मकान से टकराता है, किन्तु वह उसे ढा नहीं पाता; क्योंकि वह घर बहुत मजबूत बना है। परन्तु जो मेरी बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता, वह उस मनुष्य के सदृश है, जो बिना नींव डाले भूमितल पर अपना घर बनाता है। जलप्रवाह की टक्कर लगते ही वह घर ढह जाता है और उसका सर्वनाश हो जाता है।"

प्रभु का सुसमाचार।