जब आप लोगों में फूट है, तो प्रभु-भोज कैसे कर सकते हैं? मैं ये आदेश देते हुए इस पर अपना असन्तोष प्रकट करना चाहता हूँ कि आपकी सभाओं से आप को लाभ से अधिक हानि ही होती है। पहली बात तो यह है कि मेरे सुनने में आया कि जब आपके यहाँ धर्मसभा होती है, तो दलबन्दी स्पष्ट हो जाती है और मैं एक सीमा तक उस पर विश्वास भी करता हूँ। आप लोगों में फूट हो जाना एक प्रकार से अनिवार्य है, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि आप में से कौन लोग खरे हैं। आप लोग जिस तरह सभा के लिए एकत्र होते हैं, वह प्रभु-भोज कहलाने योग्य नहीं; क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति झटपट अपना-अपना भोजन खाने में लग जाता है। इस तरह कोई भूखा रह जाता है और कोई जरूरत से ज्यादा पीता है। क्या खाने-पीने के लिए आपके अपने घर नहीं हैं? या क्या आप ईश्वर की कलीसिया का तिरस्कार और दरिद्रों को नीचा दिखाना चाहते हैं? मैं आप लोगों से क्या कहूँ? क्या मैं आपकी प्रशंसा करूँ? मैं इस बात के लिए आपकी प्रशंसा नहीं कर सकता । मैंने प्रभु से सुना और आप लोगों को भी यही बता दिया कि जिस रात को प्रभु येसु पकड़वाये गये, उन्होंने रोटी ले कर धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर कहा यह मेरा शरीर है, यह तुम्हारे लिए है। यही मेरी स्मृति में किया करो । इसी प्रकार ब्यारी के बाद उन्होंने प्याला ले कर कहा - यह प्याला मेरे रक्त का नूतन विधान है। जब-जब तुम उस में से पीयो, तो यही मेरी स्मृति में किया करो। इसलिए जब-जब आप लोग यह रोटी खाते और यह प्याला पीते हैं, तो प्रभु के आने तक उनकी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु के आने तक उनकी मृत्यु की घोषणा करो ।
1. तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, किन्तु तूने मुझे सुनने के कान दिये। तूने न तो होम माँगा और न बलिदान, इसलिए मैंने कहा - देख ! मैं आ रहा हूँ
2. मुझे धर्मग्रंथ में यह आदेश दिया गया है कि मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करूँ । हे मेरे ईश्वर ! तेरी इच्छा पूरी करने में मुझे आनन्द आता है, तेरा नियम मेरे हृदय में घर कर गया है
3. मैंने सबों के सामने तेरे न्याय का बखान किया। तू जानता है कि मैंने अपना मुँह बन्द नहीं रखा
4. जो तुझे खोजते हैं, वे आनन्दित और प्रफुल्लित हो उठें। जो तेरी सहायता की राह देखते हैं, वे यह कहते जायें, "प्रभु महान् है।"
अल्लेलूया ! ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे । अल्लेलूया !
जनता को अपने ये उपदेश सुनाने के बाद येसु कफरनाहूम आये। वहाँ एक शतपति का अत्यन्त प्रिय नौकर किसी रोग से मर रहा था। शतपति ने येसु की चर्चा सुनी थी; इसलिए उसने यहूदियों के कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों को येसु के पास यह निवेदन करने के लिए भेजा कि आप आ कर मेरे नौकर को बचायें। वे येसु के पास आ कर उन से आग्रह के साथ विनय करने लगे, "वह शतपति इस योग्य है कि आप उसके लिए ऐसा करें। वह हमारे राष्ट्र से प्रेम रखता है और उसी ने हमारे लिए सभागृह बनवाया है।" येसु उनके साथ चले। वह उसके घर के निकट पहुँचे ही थे कि शतपति ने मित्रों द्वारा येसु के पास यह कहला भेजा, "प्रभु ! आप कष्ट न करें, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आयें। इसी कारण मैंने अपने को इस योग्य नहीं समझा कि आपके पास आऊँ। आप एक ही शब्द कह दीजिए और मेरा नौकर अच्छा हो जायेगा। मैं एक छोटा-सा अधिकारी हूँ। मेरे अधीन सिपाही रहते हैं। जब मैं एक से कहता हूँ- जाओ, तो वह जाता है और दूसरे से - आओ, तो वह आता है और अपने नौकर से यह करो, तो वह यह करता है।" येसु यह सुन कर चकित हो गये और उन्होंने अपने पीछे आते हुए लोगों की ओर मुड़ कर कहा, "मैं तुम लोगों से कहता हूँ इस्राएल में भी मैंने इतना दृढ़ विश्वास नहीं पाया ।" और भेजे हुए लोगों ने घर लौट कर रोगी नौकर को भला-चंगा पाया ।
प्रभु का सुसमाचार।