वर्ष का चौबीसवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 12:31-13:13

"अभी तो विश्वास, भरोसा और प्रेम - ये तीनों बने हुए हैं। किन्तु उन में से प्रेम ही सब से महान् है।"

आप लोग उच्चतर वरदानों की अभिलाषा किया करें। मैं अब आप लोगों को सर्वोत्तम मार्ग दिखाना चाहता हूँ। मैं भले ही मनुष्यों तथा स्वर्गदूतों की सब भाषाएँ बोलूँ; किन्तु यदि मुझ में प्रेम का अभाव हो, तो मैं खनखनाता घड़ियाल अथवा झनझनाती झाँझ मात्र हूँ। मुझे भले ही भविष्यवाणी का वरदान मिला हो, मैं सभी रहस्य जानता होऊँ, मुझे समस्त ज्ञान प्राप्त हो गया हो, मेरा विश्वास इतना परिपूर्ण हो कि मैं पहाड़ों को हटा सकूँ; किन्तु यदि मुझ में प्रेम का अभाव हो, तो मैं कुछ भी नहीं हूँ। मैं भले ही अपनी सारी सम्पत्ति दान कर दूँ और अपना शरीर भस्म होने के लिए अर्पित करूँ; किन्तु यदि मुझ में प्रेम का अभाव हो, तो इस से मुझे कुछ लाभ नहीं । प्रेम सहनशील और दयालु है। प्रेम न तो ईर्ष्या करता है, न डींग मारता, न धमण्ड करता है। प्रेम अशोभनीय व्यवहार नहीं करता। वह अपना स्वार्थ नहीं खोजता । प्रेम न तो कुँझलाता है और न बुराई का लेखा रखता है। वह दूसरों के पाप से नहीं, बल्कि उनके सदाचरण से प्रसन्न होता है। वह सब-कुछ ढाँक देता है, सब-कुछ पर विश्वास करता है, सब-कुछ की आशा करता और सब कुछ सह लेता है। भविष्यवाणियाँ जाती रहेंगी, भाषाएँ मौन हो जायेंगी और ज्ञान मिट जायेगा, किन्तु प्रेम का कभी अंत नहीं होगा; क्योंकि हमारा ज्ञान तथा हमारी भविष्यवाणियाँ अपूर्ण हैं और जब पूर्णता आ जायेगी, तो जो अपूर्ण है, वह जाता रहेगा। मैं जब बच्चा था, तो बच्चों की तरह बोलता, सोचता और समझता था; किन्तु सयाना हो जाने पर मैंने बचकानी बातों को छोड़ दिया। अभी तो हमें आईने में धुँधला-सा दिखाई देता है, परन्तु तब हम आमने-सामने देखेंगे। अभी तो मेरा ज्ञान अपूर्ण है; परन्तु तब मैं उसी तरह पूर्ण रूप से जान पाऊँगा, जिस तरह ईश्वर मुझे जान गया है। अभी तो विश्वास, भरोसा और प्रेम - ये तीनों बने हुए हैं। किन्तु उन में से प्रेम ही सब से महान् है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 32:2-5,12,22

अनुवाक्य : धन्य हैं वे लोग, जिन्हें प्रभु ने अपनी प्रजा बना लिया है।

1. वीणा बजाते हुए प्रभु का धन्यवाद करो, सारंगी पर उसका स्तुतिगान करो। उसके आदर में नया गीत गाओ, मन लगा कर वीणा बजाओ

2. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वसनीय हैं। उसे धार्मिकता तथा न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है

3. धन्य हैं वे लोग, जिनका ईश्वर प्रभु है, जिन्हें प्रभु ने अपनी प्रजा बना लिया है। हे प्रभु ! तेरा प्रेम हम पर बना रहे। तुझ पर ही हमारा भरोसा है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! हे प्रभु ! आपकी शिक्षा आत्मा और जीवन है। आपके ही शब्दों में अनन्त जीवन का सन्देश है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:31-35

"हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी और तुम नहीं नाचे, हमने विलाप किया और तुम नहीं रोये ।"

प्रभु ने कहा, "मैं इस पीढ़ी के लोगों की तुलना किस से करूँ? वे किसके सदृश हैं? वे बाजार में बैठे हुए छोकरों के सदृश हैं, जो एक दूसरे को पुकार कर कहते हैं : हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी और तुम नहीं नाचे, हमने विलाप किया और तुम नहीं रोये : क्योंकि योहन बपतिस्ता आया, जो न रोटी खाता और न अंगूरी पीता है और तुम कहते हो – उसे अपदूत लगा है। मानव पुत्र आया, जो खाता-पीता है और तुम कहते हो देखो, यह आदमी पेटू और पियक्कड़ है, नाकेदारों और पापियों का मित्र है। किन्तु ईश्वर की प्रज्ञा उसकी प्रजा द्वारा उचित प्रमाणित हुई है।"

प्रभु का सुसमाचार।