पुत्र ! यदि यह तुम्हारी शक्ति के बाहर न हो, तो जिसके आभारी हो, उसका उपकार करो। यदि तुम दे सकते हो, तो अपने पड़ोसी से यह न कहो, "चले जाओ ! फिर आना ! मैं तुम्हें कल दूँगा ।" जो पड़ोसी तुम पर विश्वास रखता है, उसके विरुद्ध षड्यन्त्र मत रचो । जिसने तुम्हारे साथ कोई अन्याय नहीं किया, उस मनुष्य से अकारण झगड़ा मत करो। विधर्मी से ईर्ष्या मत करो और उसके किसी भी मार्ग पर पैर न रखो; क्योंकि प्रभु दुष्टों से घृणा करता और सदाचारियों को अपने मित्र बना लेता है। दुष्ट के घर पर प्रभु का अभिशाप पड़ता है, किन्तु वह धर्मी के घर को आशीर्वाद देता है। प्रभु घमण्डियों को नीचा दिखाता और दीनों को अपना कृपापात्र बना लेता है। बुद्धिमान् लोगों को सम्मान मिलेगा और मूर्खी का तिरस्कार किया जायेगा ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! धर्मी तेरे पवित्र पर्वत पर निवास करेगा ।
1. हे प्रभु ! कौन तेरे शिविर में प्रवेश कर तेरे पवित्र पर्वत पर निवास कर पायेगा? जिसका आचरण निर्दोष है, जो सदा सत्कार्य करता है, जो हृदय से सत्य बोलता है और चुगली नहीं खाता
2. जो अपने भाई को नहीं ठगता और अपने पड़ोसी की निन्दा नहीं करता, जो विधर्मी को तुच्छ समझता और प्रभु-भक्तों का आदर करता है
3. जो उधार दे कर ब्याज नहीं माँगता और निर्दोष के विरुद्ध घूस नहीं लेता । जो ऐसा आचरण करता है, वह कभी विचलित नहीं होता ।
अल्लेलूया ! तुम्हारी ज्योति मनुष्यों के सामने चमकती रहे। जिससे वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे स्वर्गिक पिता की महिमा करें । अल्लेलूया !
येसु ने लोगों से यह कहा, "कोई दीपक जला कर बरतन से नहीं ढकता अथवा पलंग के नीचे नहीं रखता, बल्कि वह उसे दीवट पर रख देता है जिससे भीतर आने वाले उसका प्रकाश देख सकें ।" “ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं होगा और ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो नहीं फैलेगा तथा प्रकाश में नहीं आयेगा। तो इसके सम्बन्ध में सावधान रहो कि तुम किस तरह सुनते हो। क्योंकि जिसके पास कुछ है, उसी को और दिया जाएगा और जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जायेगा, जिसे वह अपना समझता है।"
प्रभु का सुसमाचार।