वर्ष का पच्चीसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

सूक्ति-ग्रन्थ 21:1-6,10-13

कुछ नीति-वचन

राजा का हृदय प्रभु के हाथ में जलधारा की तरह है: वह जिधर चाहता, उसे उधर मोड़ देता है। मनुष्य जो कुछ करता है, वह उसे ठीक समझता है, किन्तु प्रभु ही हृदय की थाह लेता है । बलिदान की अपेक्षा सदाचरण और न्याय प्रभु की दृष्टि में कहीं अधिक महत्त्व रखते हैं। तिरस्कारपूर्ण आँखें और घमण्ड से भरा हुआ हृदय : ये पापी मनुष्य के लक्षण हैं। जो परिश्रम करता है, उसकी योजनाएँ सफल हो जाती हैं। जो उतावली करता है, वह दरिद्र हो जाता है। झूठ से कमाया हुआ धन असार है और वह मृत्यु के पाश में बाँध देता है। दुष्ट बुराई की बातें सोचता रहता है, वह अपने पड़ोसी पर भी दया नहीं करता । दुष्ट को दण्डित देख कर, अज्ञानी सावधान हो जाता है। जब बुद्धिमान् को शिक्षा दी जाती है, तो उसका ज्ञान बढ़ता है। न्यायप्रिय प्रभु दुष्ट के घर पर दृष्टि रखता और कुकर्मियों का विनाश करता है। जो दरिद्र का निवेदन ठुकराता है, उसकी दुहाई पर कोई कान नहीं देगा ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 118:1,27,30,34,35,44

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मुझे अपनी आज्ञाओं के पथ पर ले चल ।

1. धन्य हैं वे, जो निर्दोष जीवन बिताते और प्रभु की संहिता पर चलते हैं

2. मुझे अपनी आज्ञाओं का मार्ग समझा और मैं तेरे अपूर्व कार्यों का मनन करूँगा

3. मैंने सत्य का मार्ग चुना और तेरी आज्ञाओं के पालन का निश्चय किया

4. मुझे ऐसी शिक्षा दे जिससे मैं हृदय से तेरी संहिता का पालन करता रहूँ।

5. मुझे अपनी आज्ञाओं के मार्ग पर ले चल, क्योंकि इसी से मुझे आनन्द मिलता है।

6. मैं सदा-सर्वदा तेरी संहिता का पालन करता रहूँगा ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 8:19-21

"मेरी माता और मेरे भाई वे ही हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।"

येसु की माता और भाई उन से मिलने आए, किन्तु भीड़ के कारण उनके पास नहीं पहुँच सके। लोगों ने उन से कहा, "आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।" उन्होंने उत्तर दिया, "मेरी माता और मेरे भाई वे हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।"

प्रभु का सुसमाचार।