वर्ष का पच्चीसवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

सूक्ति-ग्रन्थ 30:5-9

"मुझे न तो गरीबी दे और न अमीरी मुझे आवश्यक भोजन मात्र प्रदान कर ।"

ईश्वर की प्रत्येक प्रतिज्ञा विश्वसनीय है। ईश्वर अपने शरणार्थियों की ढाल है। उसके वचनों में अपनी ओर से कुछ मत जोड़ो, कहीं ऐसा न हो कि वह तुम को डाँटे और झूठा प्रमाणित करे । मैं तुझ से दो ही वरदान माँगता हूँ, उन्हें मेरे जीवनकाल में ही प्रदान कर। मुझ से कपट और झूठ दूर कर दे। मुझे न तो गरीबी दे और न अमीरी- मुझे आवश्यक भोजन मात्र प्रदान कर। कहीं ऐसा न हो कि मैं धनी बन कर तुझे अस्वीकार करते हुए कहूँ, "प्रभु कौन है?" अथवा दरिद्र बन कर चोरी करने लगूं और अपने ईश्वर का नाम कलंकित करूँ ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 118:29,72,89,101,104,163

अनुवाक्य : तेरी शिक्षा मेरा पथ आलोकित कर देती है ।

1. असत्य के मार्ग से मुझे दूर रख और मुझे अपनी आज्ञाएँ सिखा ।

2. संसार की सोना-चाँदी की अपेक्षा मुझे तेरी संहिता कहीं अधिक वांछनीय है ।

3. हे प्रभु ! तेरा वचन सदा-सर्वदा स्वर्ग की तरह बना रहेगा ।

4. मैं कुमार्ग से दूर रहता हूँ, क्योंकि मैं तेरी शिक्षा पर चलता हूँ।

5. मुझे तेरी आज्ञाओं द्वारा विवेक मिला है, इसलिए मैं असत्य से घृणा करता हूँ।

6. मैं सारे हृदय से असत्य से घृणा करता हूँ। तेरी संहिता ही मुझे परमप्रिय है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर का राज्य निकट आ गया है। पश्चात्ताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो । अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:1-6

“येसु ने उन्हें ईश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने और बीमारों को चंगा करने भेजा ।"

येसु ने बारहों को बुला कर उन्हें सब अपदूतों पर सामर्थ्य तथा अधिकार दिया और रोगों को दूर करने की शक्ति प्रदान की। तब येसु ने उन्हें ईश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने और बीमारों को चंगा करने भेजा । उन्होंने उन से कहा, "रास्ते के लिए कुछ भी न ले जाओ न लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपया। अपने लिए दो कुरते भी न रखो। जिस घर में ठहरने जाओ, नगर से विदा होने तक वहीं रहो। यदि लोग तुम्हारा स्वागत न करें, तो उनके नगर से निकल कर उन्हें चेतावनी देने के लिए अपने पैरों की धूल झाड़ दो।" वे चले गए और सुसमाचार सुनाते तथा लोगों को चंगा करते हुए गाँव-गाँव घूमने लगे ।

प्रभु का सुसमाचार।