पृथ्वी पर हर बात का अपना वक्त और हर काम का अपना समय होता है : जन्म लेने का समय और मरने का समय; रोपने का समय और पौधा उखाड़ने का समय; मारने का समय और स्वस्थ करने का समय; गिराने का समय और उठाने का समय; रोने का समय और हँसने का समय; विलाप करने का समय और नाचने का समय; पत्थर बिखेरने का समय और पत्थर एकत्र करने का समय; आलिंगन करने का समय और आलिंगन नहीं करने का समय; खोजने का समय और खोने का समय; अपने पास रखने का समय और फेंक देने का समय; फाड़ने का समय और सीने का समय; चुप रहने का समय और बोलने का समय; प्यार करने का समय; और बैर करने का समय; युद्ध का समय और शांति का समय। मनुष्य को अपने सारे परिश्रम से क्या लाभ? ईश्वर ने मनुष्यों को जो कार्य सौंपा है, मैंने उस पर विचार किया। उसने सब कुछ उपयुक्त समय के अनुसार बनाया है। उसने मनुष्य को भूत और भविष्य का विवेक दिया है, किन्तु ईश्वर ने प्रारंभ से अन्त तक जो कुछ किया, उसे मनुष्य कभी नहीं समझ सका।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु, मेरी चट्टान, धन्य है।
1. प्रभु, मेरी चट्टान, धन्य है। वह मुझे प्यार करता और सुरक्षित रखता है। वह मेरा गढ़ है, मेरा मुक्तिदाता, मेरी ढाल और मेरा शरणस्थान
2. हे प्रभु! मनुष्य क्या है, जो तू उसकी देख-भाल करे? आदम का पुत्र क्या है, जो तू उसकी सुधि ले? मनुष्य तो श्वास के सदृश है, उसका जीवन छाया की तरह मिट जाता है।
अल्लेलूया ! मानव पुत्र सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है। अल्लेलूया !
किसी दिन प्रभु येसु एकांत में प्रार्थना कर रहे थे और उनके शिष्य उनके साथ थे। येसु ने उन से पूछा, "मैं कौन हूँ, इसके विषय में लोग क्या कहते हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "योहन बपतिस्ता; कुछ लोग कहते हैं- एलियस; और कुछ लोग कहते हैं – प्राचीन नबियों में से कोई पुनर्जीवित हो गया है।" येसु ने उन से कहा, "और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?" पेत्रुस ने उत्तर दिया, "ईश्वर के मसीह ।" उन्होंने अपने शिष्यों को कड़ी चेतावनी दी कि वे यह बात किसी को भी नहीं बतायें । उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा ।"
प्रभु का सुसमाचार।