वर्ष का पच्चीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

उपदेशक-ग्रन्थ 11:9-12:8

"अपनी जवानी के दिनों में अपने सृष्टिकर्त्ता को याद रखो । उस समय से पहले जब मिट्टी पृथ्वी में मिल जायेगी और आत्मा ईश्वर के पास लौटेगी।"

हे युवक ! अपनी जवानी में आनन्द मनाओ, अपनी युवावस्था में मनोरंजन करो। अपने हृदय और अपनी आँखों की अभिलाषा पूरी करो, किन्तु याद रखो कि ईश्वर तुम्हारे आचरण का लेखा माँगेगा। अपने हृदय से शोक निकाल दो और अपने शरीर से कष्ट दूर कर दो, क्योंकि जीवन का प्रभात क्षणभंगुर है। अपनी जवानी के दिनों में अपने सृष्टिकर्ता को याद रखो : बुरे दिनों के आने से पहले, उन वर्षों के आने से पहले जिनके विषय में तुम कहोगे- 'मुझे उन में कोई सुख नहीं मिला'; उस समय से पहले जब सूर्य, प्रकाश, चन्द्रमा और नक्षत्र अन्धकारमय हो जायेंगे और वर्षा के बाद बादल छा जायेंगे; उस समय से पहले, जब घर के रक्षकं काँपने लगेंगे, बलवानों का शरीर झुक जायेगा, चबाने वाले इतने कम होंगे कि अपना काम बन्द करेंगे और जो खिड़कियों से झाँकती हैं, वे धुंधली हो जायेंगी । उस समय से पहले, जब बाहरी दरवाजे बन्द होंगे, चक्की की आवाज मन्द होगी, चिड़ियों की चहचहाहट धीमी पड़ जायेगी और सभी गीत मौन हो जायेंगे । उस समय से पहले, जब ऊँचाई पर चढ़ने से डर लगेगा और सड़कों पर खतरे ही खतरे दिखाई देंगे, जब बादाम का स्वाद फीका पड़ जायेगा, टिड्डियाँ नहीं पचेंगी और चटनी में रुचि नहीं रहेगी, क्योंकि मनुष्य परलोक सिधारने पर है और शोक मनाने वाले सड़क पर आ रहे हैं। उस समय से पहले, जब चाँदी का तार टूट जायेगा और सोने का पात्र गिर पड़ेगा, जब घड़ा झरने के पास फूटेगा और कूएँ का पहिया टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा; उस समय से पहले, जब मिट्टी उस पृथ्वी में मिल जायेगी जहाँ से वह आयी है और आत्मा ईश्वर के पास लौट जायेगी, जिसने उसे भेजा है। उपदेशक कहता है, व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 89:3-6,12-14,17

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारा आश्रय बना रहा।

1. तू मनुष्य को फिर मिट्टी में मिला कर कहता है, "हे मनुष्य की सन्तान ! लौट जाओ।" एक हजार वर्ष भी तुझे बीते कल की तरह लगते हैं, वे तेरी गिनती में रात के पहर के सदृश हैं

2. तू मनुष्यों को इस तरह उठा ले जाता है, जिस तरह सबेरा हो जाने पर स्वप्न मिट जाता है, जिस तरह घास प्रातःकाल उग कर लहलहाती है और सन्ध्या तक मुरझा कर सूख जाती है

3. हमें जीवन की क्षणभंगुरता सिखा, जिससे हम में सद्बुद्धि आये। हे प्रभु ! क्षमा कर। हम कब तक तेरी प्रतीक्षा करें? तू अपने सेवकों पर दया कर ।

4. तू भोर को हमें अपना प्रेम दिखा, जिससे हम आनन्द के गीत गा सकें। प्रभु की मधुर कृपा हम पर बनी रहे और हमारे सब कार्यों पर तेरी आशिष ।

📙सुसमाचार

📒जयघोष

अल्लेलूया ! हमारे मुक्तिदाता और मसीह ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया । अल्लेलूया ।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:44-45

"मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जाएगा । इसके विषय में येसु से प्रश्न करने में उन्हें संकोच होता था ।"

सब लोग येसु के कार्यों को देख कर अचंभे में पड़ जाते थे, किन्तु उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "तुम लोग मेरे इस कथन को भली-भाँति स्मरण रखो मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जाएगा।" परन्तु यह बात उनकी समझ में नहीं आ सकी। इसका अर्थ उन से छिपा ही रह गया और वे इसे नहीं समझ पाते थे। इसके विषय में येसु से प्रश्न करने में उन्हें संकोच होता था ।

प्रभु का सुसमाचार।