वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

योब का ग्रन्थ 3:1-3,11-17,20-23

"दुःखियों को दिन का प्रकाश क्यों दिया जाता है?"

योब ने अपने जन्म-दिवस को कोसते हुए कहा, "विनाश हो उस दिन का, जब मैं पैदा हुआ था। विनाश हो उस रात को, जो कहती थी, 'एक बालक का गर्भाधान हुआ है'। मैं गर्भ में ही क्यों नहीं मर गया? मैं जन्म लेते ही क्यों नष्ट नहीं हुआ? सँभालने के लिए दो घुटने क्यों थे? मुझे दूध पिलाने के लिए दो स्तन क्यों थे? समय से पहले गिरे हुए गर्भ की तरह मुझे क्यों नहीं गाड़ा गया, उन बच्चों की तरह, जो दिन का प्रकाश, कभी नहीं देखते? यदि ऐसा हुआ होता, तो मैं अभी शांतिपूर्ण समाधि में पड़ा रहता और निश्चिन्त हो कर चिरनिद्रा में लीन होता, उन राजाओं और देश के शासकों के साथ जिन्होंने अपने लिए मकबरे बनवाये, उन राजकुमारों के साथ, जिनके पास बहुत सोना था और जिन्होंने अपने भवन चाँदी से भर लिये। वहाँ दुष्ट लोग किसी को तंग नहीं करते और थके-मांदे विश्राम पाते हैं। दुःखियों को दिन का प्रकाश और अभागे लोगों को जीवन क्यों दिया जाता है? वे मृत्यु की प्रतीक्षा करते हैं, किन्तु वह आती नहीं, वे उसे छिपे हुए खजाने से कहीं अधिक खोजते हैं। वे मकबरा देख कर हर्षित हो जाते और कब्र में पहुँचने पर आनन्द मनाते हैं। उस मनुष्य को जीवन क्यों दिया जाता है, जो अपना मार्ग नहीं देखता और जिसे ईश्वर चारों ओर से बाधित करता है?"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 87:2-8

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना तेरे पास पहुँचे ।

1. हे प्रभु! मेरे ईश्वर ! मैं दिन भर तेरी दुहाई देता हूँ, मैं रात को तेरे सामने रोता हूँ। मेरी प्रार्थना तेरे पास पहुँचे, मेरी दुहाई पर ध्यान देने की कृपा कर

2. मैं कष्टों से घिरा हुआ हूँ, मैं अधोलोक के द्वार पर पहुँचा हूँ। लोग मुझे मरा हुआ समझते हैं। मेरी सारी शक्ति समाप्त हो गयी है

3. मैं मृतकों में एक जैसा हो गया हूँ, उन लोगों के सदृश जो कब्र में पड़े हुए हैं, जिन्हें तू याद नहीं करता, जिन्हें तू सहायता नहीं देता

4. तूने मुझे गहरी कब्र में डाल दिया, अँधेरे में, मृत्यु की छाया में। तेरे क्रोध का भार मुझे दबाता है, उसकी लहरें मुझे डुबा कर ले जाती हैं।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! मानव पुत्र सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:51-56

"येसु ने येरुसालेम जाने का निश्चय किया ।"

अपने स्वर्गारोहण का समय निकट आने पर येसु ने येरुसालेम जाने का निश्चय किया और संदेश देने वालों को अपने आगे भेजा । वे चले गये और उन्होंने येसु के रहने का प्रबंध करने के लिए समारियों के एक गाँव में प्रवेश किया। लोगों ने येसु का स्वागत करने से इनकार किया, क्योंकि वह येरुसालेम जा रहे थे। उनके शिष्य याकूब और योहन यह सुन कर बोल उठे, "प्रभु ! आप चाहें, तो हम यह कह दें कि आकाश से आग बरसे और उन्हें भस्म कर दे।" पर येसु ने मुड़ कर उन्हें डाँटा और वे दूसरी बस्ती चले गये।

प्रभु का सुसमाचार।