वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

योब का ग्रन्थ 9:1-12,14-16

"मनुष्य अपने को ईश्वर के सामने निर्दोष प्रमाणित नहीं कर सकता ।"

योब ने अपने मित्रों से यह कहा, "मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि तुम लोगों का कहना सच है। मनुष्य अपने को ईश्वर के सामने निर्दोष प्रमाणित नहीं कर सकता । यदि वह ईश्वर के साथ बहस करना चाहेगा, तो ईश्वर हजार प्रश्नों में से एक का भी उत्तर नहीं देगा। ईश्वर सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान् है- कौन मनुष्य उसका सामना करने के बाद जीवित रहा? ईश्वर पर्वतों को अचानक हटा देता और अपने क्रोध में उलटा देता है। वह पृथ्वी को उसके स्थान से खिसकाता और उसके खंभों को हिला देता है। वह नक्षत्रों को ढाँकता और उसके आदेश पर सूर्य दिखाई नहीं देता। वह अकेला ही आकाश फैलाता और समुद्र की लहरों पर चलता है। उसने सप्तर्षि, मृग, कृत्तिका, और दक्षिण नक्षत्रों की सृष्टि की है। वह महान् एवं रहस्यमय कार्य सम्पन्न करता और असंख्य चमत्कार दिखाता है।" वह मेरे पास आता है और मैं उसे नहीं देखता; वह आगे बढ़ता है और मुझे इसका पता नहीं चलता। जब वह कुछ ले जाता है, तो कौन उसे रोकेगा; कौन उस से कहेगा- "तू यह क्या कर रहा है?" मैं उस को जवाब कैसे दे सकता हूँ? उस से बहस करने के लिए मुझे कहाँ से शब्द मिलेंगे? यदि मेरा पक्ष न्यायसंगत है और मैं न्यायकर्त्ता से दया-याचना करता हूँ; तब भी मुझे उत्तर 'नहीं मिलता। यदि वह मेरी दुहाई का उत्तर देता, तो मुझे विश्वास नहीं होता कि वह मेरी प्रार्थना पर ध्यान देता है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 87:10-15

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना तेरे पास पहुँचे ।

1. मैं दिन भर तेरी दुहाई देता हूँ, मैं तुझे हाथ जोड़ता हूँ। क्या तू मृतकों के लिए चमत्कार दिखाता है? क्या मृतक उठ कर तेरी स्तुति करते हैं?

2. क्या कब्र में तेरे प्रेम की चरचा होती है? क्या अधोलोक में तेरी सत्यप्रतिज्ञता का बखान होता है? क्या लोग मृत्यु की छाया में तेरे चमत्कार और विस्मृति के गर्भ में तेरी न्यायप्रियता जानते हैं?

3. हे प्रभु! मैं तेरी दुहाई देता हूँ, मैं प्रतिदिन प्रातःकाल तुझ से प्रार्थना करता हूँ। तू मुझे क्यों त्याग देता है? तू मुझ से क्यों मुँह फेर लेता है?

📒जयघोष

अल्लेलूया ! मैंने सब कुछ छोड़ दिया है और उसे कूड़ा समझता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्त करूँ और उनके साथ सम्पूर्ण रूप से एक हो जाऊँ । अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:57-62

"आप जहाँ कहीं भी जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा ।"

येसु अपने शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे कि रास्ते में ही किसी ने उन से कहा, "आप जहाँ कहीं भी जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा ।" येसु ने उसे उत्तर दिया, "लोमड़ियों की अपनी माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के अपने घोसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी अपनी जगह नहीं है।" उन्होंने किसी दूसरे से कहा, "मेरे पीछे चले आओ।" परन्तु उसने उत्तर दिया, "प्रभु ! मुझे पहले अपने पिता को दफनाने के लिए जाने दीजिए।" येसु ने उस से कहा, "मुरदों को अपने मुरदे दफनाने दो। तुम जा कर ईश्वर के राज्य का प्रचार करो।" फिर कोई दूसरा बोला, "प्रभु ! मैं आपका अनुसरण करूँगा, परन्तु मुझे अपने घर वालों से विदा लेने दीजिए।" येसु ने उस से कहा, "हल की मूठ पकड़ने के बाद जो मुड़ कर पीछे देखता है, वह ईश्वर के राज्य के योग्य नहीं।"

प्रभु का सुसमाचार।