वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

योब का ग्रन्थ 38:1,12-21; 40:3-5

"क्या तुमने कभी भोर को बुला भेजा? क्या तुम समुद्र के स्त्रोतों तक उतरे हो?"

प्रभु ने आँधी में से योब को यह उत्तर दिया, "क्या तुमने अपने सारे जीवन में कभी भोर को बुला भेजा अथवा उषा को उसका स्थान बतलाया? क्या तुमने आदेश दिया कि वह पृथ्वी के छोरों को पकड़ कर झटकार दे, जिससे दुष्ट जन उसके तल पर से लुप्त हो जायें? मुहर लगने से मिट्टी जैसे बदलती है, उसी तरह पृथ्वी बदलती है और वस्त्र की तरह उस पर रंग चढ़ जाता है। उषा दुष्टों से उनका प्रकाश छीन लेती है और उनका ऊपर उठा हुआ हाथ तोड़ देती है। क्या तुम समुद्र के स्रोतों तक उतरे हो अथवा गर्त्त के तल पर टहल चुके हो? क्या तुम्हें मृत्यु के फाटक दिखाये गये? क्या तुमने अधोलोक के द्वारपालों को देखा? क्या तुम को पृथ्वी के विस्तार का कुछ अनुमान है? यदि तुम जानते हो, तो यह सब मुझे बता दो । प्रकाश के निवास का मार्ग कहाँ है? और अन्धकार कहाँ ठहरता है? क्या तुम दोनों को उनके अपने स्थान की ओर, उनके अपने निवास के मार्ग पर ले जा सकते हो? यदि तुम यह सब जानते हो, तो उन से पहले तुम्हारा जन्म हुआ था और तुम्हारे जीवन की आयु लम्बी है।" योब ने प्रभु से यह कहा, "मैं कुछ भी नहीं हूँ। मैं तुझे क्या उत्तर दूँ? मैं होठों पर अपनी उँगली रखूँगा। मैं एक बार बोला, मैं दुबारा उत्तर नहीं दूंगा; मैं बारम्बार बोला, मैं फिर कभी कुछ नहीं कहूँगा ।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 138:1-3,7-10,13-14

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू मुझे अनन्त जीवन के मार्ग पर ले चलने की कृपा कर ।

1. हे प्रभु ! तू मेरी थाह लेता और मुझे जानता है। मैं चाहे लेदूँ या बैठ जाऊँ – तू जानता है। तू दूर रहते हुए भी मेरे विचार भाँप लेता है। मैं चाहे चलूँ या लेट जाऊँ तू देखता है। मैं जो भी करता हूँ - तू सब जानता है

2. मैं कहाँ जा कर तुझ से अपने को छिपा लूँ? मैं कहाँ भाग कर तेरी आँखों से ओझल हो जाऊँ? यदि मैं आकाश तक पहुँच जाऊँ, तो तू वहाँ है; यदि मैं अधोलोक में लेहूँ, तो तू वहाँ भी है

3. यदि मैं उषा के पंखों पर चढ़कर समुद्र के उस पार बस जाऊँ, तो वहाँ भी तेरा हाथ मुझे ले चलता, वहाँ भी तेरा दाहिना हाथ मुझे सँभालता

4. तूने मेरे शरीर की सृष्टि की है, तूने मेरी माता के गर्भ में मुझे गढ़ा है। मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ- मेरा निर्माण अपूर्व है। तेरे समस्त कार्य अद्भुत हैं।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! आज अपना हृदय कठोर न बनाओ, प्रभु की वाणी पर ध्यान दो । अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:13-16

"जो मेरा तिरस्कार करता, वह उसका तिरस्कार करता है जिसने मुझे भेजा है।"

येसु ने कहा, "धिक्कार तुझे रे कोरेजन ! धिक्कार तुझे रे बेथसाइदा ! जो चमत्कार तुम में किये गये हैं, यदि वे तीरुस और सिदोन में किये गये होते, तो न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर उन्होंने पश्चात्ताप किया होता। इसलिए न्याय के दिन तुम्हारी दशा की अपेक्षा तीरुस और सिदोन की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी। और तू, रे कफरनाहूम ! क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा उठाया जायेगा? नहीं, तू अधोलोक तक नीचे गिरा दिया जायेगा ।" "जो तुम्हारी सुनता है, वह मेरी सुनता है और जो तुम्हारा तिरस्कार करता है, वह मेरा तिरस्कार करता है। जो मेरा तिरस्कार करता है, वह उसका तिरस्कार करता है जिसने मुझे भेजा है।"

प्रभु का सुसमाचार।