मैं चौदह वर्ष बाद बरनाबस के साथ फिर येरुसालेम गया। मैंने तीतुस को भी अपने साथ ले लिया। ईश्वर ने मुझ पर एकान्त में वह प्रकट किया था कि मुझे जाना चाहिए। मैंने उन लोगों के सामने - अर्थात् प्रतिष्ठित व्यक्तियों के सामने सुसमाचार प्रस्तुत किया जिसका प्रचार मैं गैरयहूदियों के बीच करता हूँ, जिससे ऐसा न हो कि मैं व्यर्थ परिश्रम करूँ या कर चुका होऊँ ! उन्होंने मान लिया कि मुझे उसी तरह गैरयहूदियों में सुसमाचार का प्रचार-कार्य सौंपा गया था, जिस तरह पेत्रुस को यहूदियों में; क्योंकि जिस ईश्वर ने पेत्रुस को यहूदियों का धर्मप्रचारक बनने को शक्ति प्रदान की थी, उसी ने मुझे गैरयहूदियों का धर्मप्रचारक बनने की शक्ति प्रदान की थी। जो व्यक्ति कलीसिया के स्तम्भ समझे जाते थे - अर्थात् याकूब, केफस और योहन - उन्होंने कृपा का वह वरदान पहचाना जो मुझे मिला है। उन्होंने मुझे और बरनाबस को अपने सहयोगी समझ कर हम से हाथ मिलाया । वे इस बात के लिए सहमत हुए कि हम गैरयहूदियों के पास जायें और वे यहूदियों के पास । उनका केवल यही आग्रह था कि हमें दरिद्रों की सुध लेनी चाहिए और इसके लिए मैं स्वयं उत्सुक था । जब केफस अन्ताखिया आये, तो मैंने उनके मुँह पर उनका विरोध किया, क्योंकि वह गलत रास्ते पर थे। वह पहले गैरयहूदियों के साथ खाते थे, किन्तु जब याकूब के यहाँ से कुछ व्यक्ति आये, तो वह यहूदियों के भय से गैरयहूदियों से किनारा कटने और उन से अलग रहने लगे। दूसरे यहूदी भाइयों ने भी इस प्रकार का ढोंग रचा, यहाँ तक कि बरनाबस भी उनके ढोंग के कारण भटक गये । जब मैंने देखा कि उनका आचरण सुसमाचार के सत्य के अनुकूल नहीं है, तो मैंने सबों के सामने केफस से यह कहा, "यदि आप जो जन्म से यहूदी हैं, यहूदी रिवाज के अनुसार नहीं, बल्कि गैरयहूदी रिवाज के अनुसार जीते हैं, तो आप गैरयहूदियों को यहूदी रिवाज अपनाने के लिए कैसे बाध्य कर सकते हैं?"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : संसार के कोने-कोने में जा कर सुसमाचार सुनाओ । (अथवा : अल्लेलूया !)
1. हे समस्त जातियो ! प्रभु की स्तुति करो। हे समस्त राष्ट्रो ! उसकी महिमा गाओ
2. क्योंकि हमारे प्रति उसका प्रेम समर्थ है; उसकी सत्यप्रतिज्ञता सदा-सर्वदा बनी रहती है।
अल्लेलूया ! आप लोगों को गोद लिये हुए पुत्रों का मनोभाव मिला, जिससे प्रेरित हो कर हम पुकार कर कहते हैं, "अब्बा, हे पिता !" अल्लेलूया !
एक दिन येसु किसी स्थान पर प्रार्थना कर रहे थे। प्रार्थना समाप्त होने पर उनके एक शिष्य ने उनसे कहा, "हे प्रभु ! हमें प्रार्थना करना सिखाइए, जैसे योहन ने भी अपने शिष्यों को सिखाया।" येसु ने उन से कहा, "इस प्रकार प्रार्थना किया करोः हे पिता ! तेरा नाम पवित्र माना जाये। तेरा राज्य आये । हमें प्रतिदिन हमारा दैनिक आहार दिया कर । हमारे पाप क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने सब अपराधियों को क्षमा करते हैं। और हमें परीक्षा में न डाल ।"
प्रभु का सुसमाचार।