आप लोग अपने अपराधों और पापों के कारण मर चुके थे, क्योंकि आपका आचरण पहले इस संसार की रीति के अनुकूल, आकाश में विचरने वाले अपदूतों के नायक के अनुकूल था, उस आत्मा के अनुकूल था, जो अब तक ईश्वर के विरोधियों में क्रियाशील है। हम सभी पहले उन विरोधियों में सम्मिलित थे, जब हम अपनी वासनाओं के वशीभूत हो कर अपने शरीर और मन की कुप्रवृत्तियाँ पूरी करते थे। हम दूसरों की तरह अपने स्वभाव के कारण ईश्वर के कोप के पात्र थे। परन्तु ईश्वर की दया अपार है। हम अपने पापों के कारण मर चुके थे, किन्तु उसने हमें इतना प्यार किया कि उसने हमें मसीह के साथ जिलाया। उसकी कृपा ने आप लोगों का उद्धार किया । उसने येसु मसीह के द्वारा हम लोगों को पुनर्जीवित किया और स्वर्ग में बैठा दिया। उसने हम को येसु मसीह में जो दयालुता दिखायी, उसके द्वारा उसने आगामी युगों के लिए अपने अनुग्रह की असीम समृद्धि को प्रदर्शित किया। उसकी कृपा ने विश्वास के द्वारा आप लोगों का उद्धार किया है। यह आपके किसी पुण्य का फल नहीं है, यह तो ईश्वर का वरदान है। यह आपके किसी कार्य का पुरस्कार नहीं है और इसलिए इसका श्रेय कोई भी नहीं ले सकता । ईश्वर ने हम को बनाया। उसने येसु मसीह द्वारा हमारी सृष्टि की, जिससे हम पुण्य के कार्य करते रहें और उसी मार्ग पर चलते रहें, जिसे ईश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।
अनुवाक्य : प्रभु ने हम को बनाया है-हम उसी के हैं। कह प्रभु की वाणी है।
1. हे समस्त पृथ्वी ! प्रभु की स्तुति करो ! आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो ! उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो जाओ !
2. यह जान लो कि वही ईश्वर है। उसी ने हम को बनाया है हम उसी के हैं। हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़े हैं
3. धन्यवाद देते हुए उसके मंदिर में प्रवेश करो, भजन गाते हुए उसके प्रांगण में आ जाओ, उसकी स्तुति करो और उसका नाम धन्य कहो
4. ओह ! ईश्वर कितना भला है। उसका प्रेम चिरस्थायी है। उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है।
अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं - स्वर्गराज्य उन्हीं का है। अल्लेलूया !
भीड़ में से किसी ने येसु से कहा, "गुरुवर ! मेरे भाई से कहिए कि वह मेरे लिए पैतृक सम्पत्ति का बँटवारा कर दे।" उन्होंने उसे उत्तर दिया, "अरे भई, किसने मुझे तुम्हारा पंच या बँटवारा करने वाला नियुक्त किया है?" तब येसु ने उन से कहा, "सावधान रहो और हर प्रकार के लोभ से बचे रहो। क्योंकि किसी के पास कितनी ही संपत्ति क्यों न हो, उस संपत्ति से उसके जीवन की रक्षा नहीं होती।" फिर येसु ने उन से यह दृष्टान्त सुनाया, "किसी धनवान की जमीन में बहुत फसल हुई थी। वह अपने मन में इस प्रकार विचार करने लगा, 'मैं क्या करूँ? मेरे यहाँ जगह नहीं रही, जहाँ अपनी फसल रख दूँ।' तब उसने कहा, 'मैं यह करूँगा । अपने भण्डारों को तोड़ कर उन से और बड़े भण्डार बनवाऊँगा, उन में अपनी सारी उपज और अपना माल इकट्ठा करूँगा और अपनी आत्मा से कहूँगा अरे भई, तुम्हारे पास बरसों के लिए बहुत-सा माल इकट्ठा है, इसलिए विश्राम करो, खाओ-पीओ और मौज उड़ाओ ।' परन्तु ईश्वर ने उस से कहा, 'ऐ मूर्ख, इसी रात तेरे प्राण तुझ से ले लिये जायेंगे और जो कुछ तूने इकट्ठा किया है, वह अब किसका होगा?' यही दशा उसकी होती है जो अपने लिए तो धन एकत्र करता है, किन्तु ईश्वर की दृष्टि में धनी नहीं है।"
प्रभु का सुसमाचार।