आप पहले मसीह से अलग थे, इस्राएल के समुदाय के बाहर थे, विधान की प्रतिज्ञाओं से अपरिचित और इस संसार में आशा और ईश्वर से रहित थे। आप लोग पहले दूर थे, किन्तु येसु मसीह से संयुक्त हो कर आप अब मसीह के रक्त द्वारा निकट आ गये हैं; क्योंकि वही हमारी शांति हैं। उन्होंने यहूदियों और गैरयहूदियों को एक कर दिया है। दोनों में जो शत्रुता की दीवार थी, उसे उन्होंने गिरा दिया और अपनी मृत्यु द्वारा विधि-निषेधों की संहिता को रद्द कर दिया । इस प्रकार उन्होंने यहूदियों तथा गैरयहूदियों को अपने से मिला कर एक नयी मानवता की सृष्टि की और शांति स्थापित की है। उन्होंने क्रूस द्वारा दोनों का एक ही शरीर में ईश्वर के साथ मेल कराया है और इस प्रकार शत्रुता को नष्ट कर दिया। तब उन्होंने आ कर दोनों को शांति का संदेश सुनाया : आप लोगों को, जो दूर थे और उन लोगों को, जो निकट थे; क्योंकि उनके द्वारा हम दोनों एक ही आत्मा से प्रेरित हो कर पिता के पास पहुँच सकते हैं। आप लोग अब परदेशी अथवा प्रवासी नहीं रहे, बल्कि सन्तों के सहनागरिक तथा ईश्वर के घराने के सदस्य बन गये हैं। आप लोगों का निर्माण उस भवन के रूप में हुआ है, जो प्रेरितों तथा नबियों की नींव पर खड़ा है और जिसका कोने का पत्थर स्वयं मसीह हैं। उन्हीं के द्वारा समस्त भवन संघटित हो कर प्रभु के लिए पवित्र मंदिर का रूप धारण कर रहा है। उन्हीं के द्वारा आप लोग भी इस भवन में जोड़ दिये जाते हैं, जिससे आप ईश्वर के लिए एक आध्यात्मिक निवास बन जायें ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु अपनी प्रजा को शांति का संदेश सुनाता है।
1. प्रभु-ईश्वर जो कुछ कहता है, मैं उसे ध्यान से सुनूँगा, वह अपनी प्रजा को शांति का संदेश सुनाता है। जो उस पर श्रद्धा रखते हैं, उनके लिए मुक्ति निकट है। उसकी महिमा हमारे देश में निवास करेगी
2. दया और सच्चाई, न्याय और शांति- ये एक दूसरे से मिल जायेंगे । सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगेगी और न्याय स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि करेगा
3. प्रभु हमें सुख-शांति प्रदान करेगा और पृथ्वी फल उत्पन्न करेगी। न्याय उसके आगे-आगे चलेगा और शांति उसके पीछे-पीछे आती रहेगी ।
अल्लेलूया ! जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खड़ा होने योग्य बन जाओ । अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "तुम्हारी कमर कसी रहे और तुम्हारे दीपक जलते रहें । तुम उन लोगों के सदृश बन जाओ जो अपने स्वामी की राह देखते रहते हैं कि वह बरात से कब लौटेगा, ताकि जब स्वामी आ कर द्वार खटखटाये तो वे तुरन्त ही उसके लिए द्वार खोल दें। धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी आने पर जागता हुआ पायेगा! मैं तुम से कहे देता हूँ : वह अपनी कमर कसेगा, उन्हें भोजन के लिए बैठायेगा और एक-एक को खाना परोसेगा। और धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी रात के दूसरे या तीसरे पहर आने पर उसी प्रकार जागता हुआ पायेगा।"
प्रभु का सुसमाचार।