अनुवाक्य : हे प्रभु! ये वे लोग हैं, जो तेरे दर्शनों के लिए तरसते हैं।
1. पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी यह सब प्रभु का है। क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली है, प्रभु ने जल पर उसे स्थापित किया है।
2. प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मंदिर में कौन रह पायेगा? वही, जिसके हाथ निर्दोष हैं, जिसका हृदय निर्मल है, जिसका मन असार संसार में नहीं रमता।
3. उसी को प्रभु की आशिष प्राप्त होगी, वही अपने मुक्तिदाता ईश्वर से पुरस्कार पायेगा। वह उन लोगों के सदृश है, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।
अल्लेलूया! हे पिता! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया!
येसु ने लोगों से कहा, "यदि तुम पश्चिम से बादल उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, 'वर्षा आ रही है', और ऐसा ही होता है। जब दक्षिण की हवा चलती है, तो कहते हो, 'लू चलेगी' और ऐसा ही होता है। ऐ ढोंगियो! यदि तुम आकाश और पृथ्वी की सूरत पहचान सकते हो, तो इस समय के लक्षण क्यों नहीं पहचानते? " "तुम स्वयं क्यों नहीं विचार करते कि उचित क्या है? जब तुम अपने मुद्दई के साथ कचहरी जा रहे हो, तो रास्ते में ही उस से समझौता करने की चेष्टा करो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायकर्त्ता के पास खींच ले जाये और न्यायकर्त्ता तुम्हें प्यादे के हवाले कर दे और प्यादा तुम्हें बंदीगृह में डाल दे। मैं तुम से कहता हूँ, जब तक कौड़ी-कौड़ी न चुका दोगे, तब तक वहाँ से नहीं निकल पाओगे।"
प्रभु का सुसमाचार।