आप लोग एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बन जाइए। जिस तरह ईश्वर ने मसीह के कारण आप लोगों को क्षमा कर दिया है, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा कर दीजिए। आप लोग ईश्वर की प्रिय सन्तान हैं, इसलिए उसका अनुसरण कीजिए और प्रेम के मार्ग पर चलिए, जिस तरह मसीह ने आप लोगों को प्यार किया है और सुगंधित भेंट तथा बलि के रूप में ईश्वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर दिया है। जैसा कि सन्तों के लिए उचित है आप लोगों के बीच किसी प्रकार के व्यभिचार और अशुद्धता अथवा लोभ की चर्चा तक न हो, और न भद्दी, मूर्खतापूर्ण या अश्लील बातचीत; क्योंकि यह अशोभनीय है। बल्कि आप ईश्वर को धन्यवाद दें। आप लोग यह निश्चित रूप से जान लें कि कोई भी व्यभिचारी, लम्पट अथवा लोभी जो मूर्तिपूजक के बराबर है- मसीह और ईश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होगा। कोई भी निरर्थक तर्कों से आप लोगों को धोखा न दे इन बातों के कारण ईश्वर का क्रोध विद्रोही लोगों पर आ पड़ता है। इसलिए उन लोगों से कोई सम्बन्ध न रखिए। आप लोग पहले 'अन्धकार' थे, अब प्रभु के शिष्य होने के नाते 'ज्योति' बन गये हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हम प्रिय सन्तान की तरह ईश्वर का अनुकरण करें।
1. धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्टों की सलाह नहीं मानता, जो पापियों के मार्ग पर नहीं चलता और अधर्मियों के बीच नहीं बैठता, जो प्रभु का नियम हृदय से चाहता और रात-दिन उसका मनन करता है।
2. वह उस वृक्ष के सदृश है, जो जलस्त्रोत के पास लगाया जाता है, जो समय पर फल देता है और जिसके पत्ते मुरझाते नहीं। वह मनुष्य अपने सब कामों में सफल हो जाता है।
3. दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, नहीं होते, वे तो पवन द्वारा छितरायी हुई भूसी के सदृश हैं। प्रभु धर्मियों के मार्ग की रक्षा करता है, किन्तु दुष्टों का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है।
अल्लेलूया! हे प्रभु! तेरी शिक्षा ही सत्य है। तू सत्य की सेवा में हम को समर्पित कर। अल्लेलूया!
येसु विश्राम के दिन किसी सभागृह में शिक्षा दे रहे थे। वहाँ एक स्त्री आयी, जो अपदूत लग जाने के कारण अठारह वर्षों से बीमार थी। वह एकदम झुक गयी थी और किसी भी तरह सीधी नहीं हो पाती थी। येसु ने उसे देख कर अपने पास बुलाया और उस से कहा, "नारी! तुम अपने रोग से मुक्त हो गयी हो" और उन्होंने उस पर हाथ रख दिये। उसी क्षण वह सीधी हो गयी और ईश्वर की स्तुति करने लगी। सभागृह का अधिकारी चिढ़ गया, क्योंकि येसु ने विश्राम के दिन उस स्त्री को चंगा किया था। उसने लोगों से कहा, "छह दिन हैं जिन में काम करना उचित है। इसलिए उन्हीं दिनों चंगा होने के लिए आओ, विश्राम के दिन नहीं।" परन्तु प्रभु ने उसे उत्तर दिया, "ऐ ढोंगियो! क्या तुम में से हर एक विश्राम के दिन अपना बैल या गधा थान से खोल कर पानी पिलाने नहीं ले जाता? शैतान ने इस स्त्री, इब्राहीम की इस बेटी को इन अठारह वर्षों से बाँध रखा था, तो क्या इसे विश्राम के दिन उस बंधन से छुड़ाना उचित नहीं था? " येसु के इन शब्दों से उनके सब विरोधी लज्जित हो गये; पर सारी जनता उनके चमत्कार देख कर आनन्दित हो जाती थी।
प्रभु का सुसमाचार।