आप लोग प्रभु से और उसके अपार सामर्थ्य से बल ग्रहण करें। आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप शैतान की धूर्तता का सामना करने में समर्थ हों; क्योंकि हमें निरे मनुष्यों से नहीं, बल्कि इस अन्धकारमय संसार के अधिपतियों, अधिकारियों तथा शासकों से और आकाश के दुष्ट आत्माओं से संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप दुर्दिन में शत्रु का सामना करने में समर्थ हों और अंत तक अपना कर्त्तव्य पूरा कर विजय प्राप्त करें। आप सत्य का कमरबन्द कस कर, धार्मिकता का कवच धारण कर और शांति-सुसमाचार के उत्साह के जूते पहन कर खड़े हो जायें। साथ विश्वास की ढाल धारण किये रहें उस से आप दुष्ट के सब अग्निमय वाण बुझा सकते हैं। इसके अतिरिक्त मुक्तिं का टोप पहन लें और आत्मा की तलवार - अर्थात् ईश्वर का वचन-ग्रहण करें। आप लोग हर समय आत्मा में सब प्रकार की प्रार्थना तथा निवेदन करते रहें। आप लोग जागते रहें और सब सन्तों के लिए निरन्तर विनती करते रहें। आप मेरे लिए भी विनती करें, जिससे बोलते समय मुझे शब्द दिये जायें और मैं निर्भीकता से सुसमाचार का रहस्य घोषित कर सकूँ, जिस सुसमाचार का मैं बेड़ियों से बँधा हुआ राजदूत हूँ। आप विनती करें, जिससे मैं निर्भीकता से सुसमाचार का प्रचार कर सकूँ, जैसा कि मेरा कर्त्तव्य है।
अनुवाक्य : प्रभु, मेरी चट्टान, धन्य है।
1. प्रभु, मेरी चट्टान, धन्य है। वह मेरे हाथों को युद्ध का और मेरी उँगलियों को समर का प्रशिक्षण देता है।
2. वह मुझे प्यार करता और सुरक्षित रखता है। वह मेरा गढ़ है, मेरा मुक्तिदाता, मेरी ढाल और मेरा शरणस्थान। वह अन्य राष्ट्रों को मेरे अधीन करता है।
3. हे ईश्वर! मैं तेरे लिए एक नया गीत गाऊँगा, मैं वीणा बजाते हुए तेरी स्तुति करूँगा। तू राजाओं को विजय दिलाता और अपने दास दाऊद की रक्षा करता है।
अल्लेलूया! धन्य हैं वह राजा, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में ईश्वर की महिमा हो और पृथ्वी पर उसके कृपापात्रों को शांति मिले। अल्लेलूया!
उस समय कुछ फरीसियों ने आकर येसु से कहा, "विदा लीजिए और यहाँ से चले जाइए, क्योंकि हेरोद आप को मार डालना चाहता है।" येसु ने उन से कहा, "जा कर उस लोमड़ी से कहो मैं आज और कल नरकदूतों को निकालता और रोगियों को चंगा करता हूँ और तीसरे दिन मेरा कार्य समापन तक पहुँचा दिया जायेगा। आज, कल और परसों मुझे यात्रा करनी है, क्योंकि यह हो नहीं सकता कि कोई नबी येरुसालेम के बाहर मरे। " "येरुसालेम! येरुसालेम! तू नबियों की हत्या करता और अपने पास भेजे हुए लोगों को पत्थरों से मार देता है। कितनी बार मैंने चाहा कि तेरी सन्तान को एकत्र कर लूँ, जैसे मुरगी अपने चूजों को अपने डैनों के नीचे एकत्र कर लेती है, परन्तु तुम लोगों ने इनकार कर दिया। देखो, तुम्हारा घर उजाड़ छोड़ दिया जायेगा। मैं तुम से कहता हूँ, तुम मुझे तब तक नहीं देखोगे जब तक तुम यह न कहोगे, 'धन्य है वह, जो प्रभु के नाम पर आते हैं।"
प्रभु का सुसमाचार।