वर्ष का तीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

फिलिप्पियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:18-26

"मेरे लिए तो जीवन है - मसीह! और मृत्यु है उनकी पूर्ण प्राप्ति।"

मसीह का प्रचार हो रहा है - इस से मुझे आनन्द होता है। और मैं आनन्द मनाता रहूँगा, क्योंकि मैं जानता हूँ कि आपकी प्रार्थनाओं और येसु मसीह के आत्मा की सहायता द्वारा इन सब बातों का परिणाम यह होगा कि मैं मुक्त हो जाऊँगा। मेरी हार्दिक अभिलाषा और आशा यह है कि मुझे किसी बात में लजाना नहीं पड़ेगा और मसीह मुझ में महिमान्वित होंगे, चाहे मैं जीता रहूँ या मर जाऊँ। मेरे लिए तो जीवन है - मसीह! और मृत्यु है उनकी पूर्ण प्राप्ति। किन्तु यदि मैं जीवित रहूँ, तो सफल परिश्रम कर सकता हूँ, इसलिए मैं नहीं समझता कि क्या चुन लूँ। मैं दोनों ओर खिंचा हुआ हूँ। मैं तो चला जाना और मसीह के साथ रहना चाहता हूँ - यह निश्चय ही सर्वोत्तम है, किन्तु मेरा शरीर में विद्यमान रहना आप लोगों के लिए अधिक हितकर है। मुझे पक्का विश्वास है कि मैं आपके साथ रह कर आपकी सहायता करूँगा, जिससे आपकी प्रगति हो और विश्वास में आपका आनन्द बढ़ जाये। इस प्रकार जब मैं फिर आपके यहाँ आऊँगा, तो आप मेरे कारण येसु मसीह पर और भी गौरव कर सकेंगे।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 41:2,3,5

अनुवाक्य : मेरी आत्मा ईश्वर की, जीवन्त ईश्वर की प्यासी है।

1. हे मेरे ईश्वर! हरिणी जैसे जलधारा के लिए तरसती है, मेरी आत्मा वैसे ही तेरे लिए तरसती है।

2. मेरी आत्मा ईश्वर की, जीवन्त ईश्वर की प्यासी है। मैं कब जा कर ईश्वर के दर्शन करूँगा?

3. मुझे वह समय याद आता है जब मैं तीर्थयात्रियों के साथ आनन्द और स्तुति के गीत गाते हुए, उसके पवित्र मंदिर जाया करता था।

📒जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो। और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:1,7-11

"जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।"

येसु किसी विश्राम के दिन एक प्रमुख फरीसी के यहाँ भोजन करने गये। वे लोग उनकी निगरानी कर रहे थे। येसु ने अतिथियों को मुख्य मुख्य स्थान चुनते देख कर उन्हें यह दृष्टान्त सुनाया, "विवाह में निमंत्रित होने पर सब से अगले स्थान पर मत बैठो। कहीं ऐसा न हो कि तुम से प्रतिष्ठित कोई अतिथि निमंत्रित हो और जिसने, तुम दोनों को निमंत्रण दिया है, वह आ कर तुम से कहे, 'इन्हें अपनी जगह दीजिए, और तुम्हें लज्जित हो कर सब से पिछले स्थान पर बैठना पड़े। परन्तु जब तुम्हें निमंत्रण मिले, तो जा कर सब से पिछले स्थान पर बैठो जिससे निमंत्रण देने वाला आ कर तुम से यह कहे, 'बंधु, आगे बढ़ कर बैठिए'। इस प्रकार सभी अतिथियों के सामने तुम्हारा सम्मान होगा। क्योंकि जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।