आप लोग अपने मनोभावों को येसु मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें। यद्यपि वह ईश्वर थे और उनका पूरा अधिकार था, कि वह ईश्वर की बराबरी करें, फिर भी उन्होंने दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन-हीन बना लिया। और मनुष्य का रूप धारण करने के बाद वह मरण तक, हाँ क्रूस के मरण तक, आज्ञाकारी बन गये और इस प्रकार उन्होंने अपने को और भी दीन बना लिया, इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान् बना दिया और उन को वह नाम प्रदान किया, जो सब नामों में श्रेष्ठ है, जिससे येसु का नाम सुन कर आकाश, पृथ्वी तथा पाताल के सब निवासी घुटने टेंके और पिता की महिमा के लिए सब लोग यह स्वीकार करें कि येसु मसीह प्रभु ही हैं।
अनुवाक्य : मैं महासभा में तेरा गुणगान करूँगा।
1. मैं प्रभु-भक्तों के सामने अपनी मन्नतें पूरी करूँगा। जो दरिद्र हैं, वे खा कर तृप्त हो जायेंगे, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। उनका हृदय सदा ही आनन्दित रहेगा।
2. समस्त पृथ्वी के निवासी प्रभु का स्मरण करेंगे और उसके पास लौट आयेंगे। सभी राष्ट्र उसे दण्डवत् करेंगे, क्योंकि प्रभु ही राजा तथा राष्ट्रों का अधिपति है। पृथ्वी के सभी शासक उसके सामने नतमस्तक होंगे।
3. मेरा वंश उसकी सेवा करता रहेगा। वह बाद की पीढ़ियों के लिए प्रभु के कार्यों का बखान करेगा। और आने वाले राष्ट्रों के लिए प्रभु की दया घोषित करेगा।
अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।” अल्लेलूया!
साथ भोजन करने वालों में से किसी ने येसु से कहा, "धन्य है वह, जो ईश्वर के राज्य में भोजन करेगा! ” येसु ने उत्तर दिया, "किसी मनुष्य ने एक बड़े भोज का आयोजन किया और बहुत-से लोगों को निमंत्रण दिया। भोजन के समय उसने अपने सेवक द्वारा निमंत्रित लोगों को यह कहला भेजा कि आइए, क्योंकि अब सब कुछ तैयार है। लेकिन वे सब के सब बहाना करने लगे। पहले ने कहा, 'मैंने खेत मोल लिया है और मुझे उसे देखने जाना है। तुम से मेरा निवेदन है, मेरी ओर से क्षमा माँग लेना।' दूसरे ने कहा, 'मैंने पाँच जोड़े बैल खरीदे हैं और उन्हें परखने जा रहा हूँ। तुम से मेरा निवेदन है, मेरी ओर से क्षमा माँग लेना।' और एक ने कहा, 'मैंने विवाह किया है, इसलिए मैं नहीं आ सकता'। सेवक ने लौट कर यह सब स्वामी को बता दिया। तब घर के स्वामी ने क्रुद्ध हो कर अपने सेवक से कहा, 'शीघ्र ही नगर के बाजारों और गलियों में जा कर कंगालों, लूलों, अंधों और लँगड़ों को यहाँ बुला लाओ'। जब सेवक ने कहा, 'स्वामी! आपकी आज्ञा का पालन किया गया है; तब भी जगह है', तो स्वामी ने नौकर से कहा, 'सड़कों पर और बाड़ों के आसपास जा कर लोगों को भीतर आने के लिए बाध्य करो, जिससे मेरा घर भर जाये। क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, उन निमंत्रित लोगों में से कोई भी मेरे भोजन का स्वाद नहीं ले पायेगा।"
प्रभु का सुसमाचार।