मुझे इसलिए प्रभु में बड़ा आनन्द हुआ कि मेरे प्रति आप लोगों का प्रेम इतने दिनों के बाद पल्लवित हुआ। इस से पहले भी आप को मेरी चिन्ता अवश्य थी, किन्तु उसे प्रकट करने का सुअवसर नहीं मिल रहा था। मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि मुझे किसी बात की कमी है, क्योंकि मैंने हर परिस्थिति में स्वावलम्बी होना सीख लिया है। मैं दरिद्रता तथा सम्पन्नता, दोनों से परिचित हूँ। चाहे परिपूर्णता हो या भूख, समृद्धि हो या अभाव मुझे जीवन के उतार-चढ़ाव का पूरा अनुभव है। जो मुझे बल प्रदान करते हैं, उनकी सहायता से मैं सब कुछ कर सकता हूँ। फिर भी आप लोगों ने संकट में मेरा साथ दे कर अच्छा किया है। फिलिप्पियो! आप लोग जानते ही हैं कि मेरे सुसमाचार-प्रचार के प्रारंभ में, जब मैं मकेदूनिया से चला गया, आप लोगों को छोड़ कर किसी भी कलीसिया ने मेरे साथ लेन-देन का सम्बन्ध नहीं रखा। जब मैं थेसलनीके में था, तो आप लोगों ने मेरी आवश्यकता पूरी करने के लिए एक बार नहीं, बल्कि दो बार कुछ भेजा था। मैं दान पाने के लिए उत्सुक नहीं हूँ; मैं इसलिए उत्सुक हूँ कि हिसाब में आपकी जमा-बाकी बढ़ती जाये। अब मुझे किसी बात की कमी नहीं; मैं सम्पन्न हूँ। एपाफ्रोदितुस से आपकी भेजी हुई वस्तुएँ पा कर मैं समृद्ध हो गया हूँ। आप लोगों की यह भेंट एक मधुर सुगन्ध है, एक सुग्राह्य बलिदान, जो ईश्वर को प्रिय है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता है। (अथवा : अल्लेलूया!)
1. धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता और उसकी आज्ञाओं को हृदय से चाहता है। उसका वंश पृथ्वी पर फलेगा-फूलेगा। प्रभु की आशिष धर्मियों की सन्तति पर बनी रहती है।
2. वह तरस खा कर उधार देता और ईमानदारी से अपना कारबार करता है। वह सन्मार्ग से कभी नहीं भटकेगा। उसकी स्मृति सदा बनी रहेगी।
3. वह विपत्ति के समाचार से नहीं डरता। उसका मन दृढ़ रहता है। वह उदारतापूर्वक दरिद्रों को दान देता है। उसकी न्यायप्रियता सदा बनी रहती है। उसकी शक्ति तथा ख्याति बढ़ती जायेगी।
अल्लेलूया! येसु मसीह धनी थे किन्तु आप लोगों के कारण निर्धन बने, जिससे आप लोग उनकी निर्धनता द्वारा धनी बनें। अल्लेलूया!
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "फूठे धन से अपने लिए मित्र बना लो, जिससे उसके समाप्त हो जाने पर वे लोग परलोक में तुम्हारा स्वागत करें। "जो छोटी से छोटी बातों में ईमानदार है, वह बड़ी बातों में भी ईमानदार है और जो छोटी से छोटी बातों में बेईमान है, वह बड़ी बातों में भी बेईमान है। यदि तुम झूठे धन में ईमानदार नहीं ठहरे, तो तुम्हें सच्चा धन कौन सौंपेगा! और यदि तुम पराये धन में ईमानदार नहीं ठहरे, तो तुम्हें तुम्हारा अपना कौन देगा! " "कोई भी सेवक दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता; क्योंकि वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम ईश्वर और धन – दोनों की सेवा नहीं कर सकते।” फरीसी, जो लोभी थे, ये बातें सुन कर येसु की हँसी उड़ाते थे। इस पर येसु ने उन से कहा, "तुम लोग मनुष्यों के सामने तो धर्मी होने का ढोंग रचते हो, परन्तु ईश्वर तुम्हारा हृदय जानता है। जो बात मनुष्यों की दृष्टि में महत्त्व रखती है, वह ईश्वर की दृष्टि में घृणित है।"
प्रभु का सुसमाचार।