वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

तीतुस के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:1-9

"मेरे आदेश के अनुसार अधिकारियों को नियुक्त करो।”

यह पत्र, एक ही विश्वास में सहभागिता के नाते सच्चे पुत्र तीतुस के नाम, पौलुस की ओर से है, जो ईश्वर का सेवक तथा येसु मसीह का प्रेरित है, ताकि वह ईश्वर के कृपापात्रों को विश्वास, सच्ची भक्ति का ज्ञान तथा अनन्त जीवन की आशा दिलाये। सत्यवादी ईश्वर ने अनादि काल से इस जीवन की प्रतिज्ञा की थी। अब, उपयुक्त समय में उसका अभिप्राय उस संदेश द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है, जिसका प्रचार हमारे मुक्तिदाता ईश्वर ने मुझे सौंपा है। पिता-परमेश्वर और हमारे मुक्तिदाता येसु मसीह तुम्हें अनुग्रह तथा शांति प्रदान करें। मैंने तुम्हें इसलिए क्रेत में रहने दिया कि तुम वहाँ कलीसिया का संगठन पूरा कर दो और मेरे अनुदेश के अनुसार प्रत्येक नगर में अधिकारियों को नियुक्त करो। उन में प्रत्येक अनिन्द्य हों और उसने एक बार विवाह किया हो। उसकी सन्तान विश्वासी हो, उस पर लम्पटता का अभियोग नहीं लगाया जा सके और वह निरंकुश न हो। क्योंकि ईश्वर का कारिन्दा होने के नाते अध्यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्द्य हो। वह घमण्डी, क्रोधी, झगड़ालू या लोभी न हो। वह अतिथिप्रेमी, धर्मपरायण, समझदार, न्यायी, प्रभुभक्त और संयमी हो। वह परम्परागत प्रामाणिक धर्मसिद्धान्त पर दृढ़ रहे, जिससे वह सही शिक्षा द्वारा उपदेश दे सके और आपत्ति करने वालों को निरुत्तर कर सके।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 23:1-6

अनुवाक्य : हे प्रभु! ये वे लोग हैं, जो तेरे दर्शनों के लिये तरसते हैं।

1. पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी यह सब प्रभु का है। क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली है, प्रभु ने जल पर उसे स्थापित किया है।

2. प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मंदिर में कौन रह पायेगा? वही, जिसके हाथ निर्दोष हैं, जिसका हृदय निर्मल है, जिसका मन असार संसार में नहीं रमता।

3. उसी को प्रभु की आशिष प्राप्त होगी, वही अपने मुक्तिदाता ईश्वर से पुरस्कार पायेगा। वह उन लोगों के सदृश है, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।

📒जयघोष

अल्लेलूया! आप लोग संसार में उज्ज्वल नक्षत्रों की तरह चमकेंगे, क्योंकि जीवन का वचन आप लोगों को प्राप्त हो गया है। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:1-6

"यदि वह दिन में सात बार आ कर कहता है कि मुझे खेद है, तो तुम उसे क्षमा करते जाओ।”

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "प्रलोभन अनिवार्य है, किन्तु धिक्कार उस मनुष्य को, जो प्रलोभन का कारण बनता है! उन नन्हों में से एक के लिए भी पाप का कारण बनने की अपेक्षा उस मनुष्य के लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बाँधा जाता और वह समुद्र में फेंक दिया जाता। इसलिए सावधान रहो।" "यदि तुम्हारा भाई कोई अपराध करता है, तो उसे डाँटो और यदि वह पश्चात्ताप करता है, तो उसे क्षमा कर दो। यदि वह दिन में सात बार तुम्हारे विरुद्ध अपराध करता और सात बार आ कर कहता है कि मुझे खेद है, तो तुम उसे क्षमा करते जाओ।" प्रेरितों ने प्रभु से कहा, "हमारा विश्वास बढ़ा दीजिए।" प्रभु ने उत्तर दिया, "यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी होता और तुम शहतूत के इस पेड़ से कहते, उखड़ कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी बात मान लेता।”

प्रभु का सुसमाचार।