वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

तीतुस के नाम सन्त पौलुस का पत्र 2:1-8,11-14

"हम भक्ति का जीवन बितायें और उस दिन की प्रतीक्षा करें, जब हमारे मुक्तिदाता की महिमा प्रकट हो जायेगी।"

तुम ऐसी शिक्षा दो, जो सही धर्म-सिद्धान्त के अनुकूल हो। वृद्धों को समझाओ कि उन्हें संयमी, गंभीर एवं समझदार होना चाहिए और विश्वास, भ्रातृप्रेम एवं सहनशीलता में परिपक्व। उसी प्रकार वृद्धाओं का आचरण प्रभु-भक्तों के अनुरूप हो - वे किसी की झूठी निन्दा न करें और मदिरा की व्यसनी न हों। तू अपने सदाचरण द्वारा तरुण स्त्रियों को ऐसी शिक्षा दें कि वे अपने पति और अपने बच्चों को प्यार करें, समझदार, शुद्ध और सुशील हों, अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करें और अपने पति के अधीन रहें, जिससे लोग सुसमाचार की निन्दा न कर सकें। नवयुवकों को समझाओ कि वे सब बातों में संयम से रहें और तुम स्वयं उन्हें अच्छा उदाहरण दो। तुम्हारी शिक्षा प्रामाणिक और गंभीर हो। तुम्हारे उपदेश हितकर और अनिन्द्य हों। इस प्रकार विरोधी किसी भी बात के विषय में हमारी निन्दा न कर सकने के कारण लज्जित होगा। ईश्वर की कृपा सभी मनुष्यों की मुक्ति के लिए प्रकट हो गयी है। वह हमें यह शिक्षा देती है कि अधार्मिकता तथा विषयवासना त्याग कर हम इस पृथ्वी पर संयम, न्याय तथा भक्ति का जीवन बितायें और उस दिन की प्रतीक्षा करें, जब हमारी आशाएँ पूरी हो जायेंगी और हमारे महान् ईश्वर एवं मुक्तिदाता येसु मसीह की महिमा प्रकट हो जायेगी। उन्होंने हमारे लिए अपने को बलि चढ़ाया है, जिससे वह हमें हर प्रकार की बुराई से मुक्त करें और हमें एक ऐसी प्रजा बना दें, जो शुद्ध हो, जो उनकी अपनी हो और जो भलाई करने के लिए उत्सुक हो।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 36:3-4,18,23,27,29

अनुवाक्य : प्रभु धर्मियों का उद्धार करता है।

1. यदि तुम प्रभु पर भरोसा रख कर भला करोगे, तो स्वदेश में सुरक्षित रह सकोगे। यदि तुम प्रभु में अपना आनन्द पाओगे, तो वह तुम्हारा मनोरथ पूरा करेगा।

2. प्रभु धर्मियों की रक्षा करता है। वे अनन्तकाल तक सुरक्षित रहेंगे। प्रभु मनुष्य का पथप्रदर्शन करता और अपने कृपापात्र को संभालता है।

3. बुराई से बचते रहो, भलाई करते रहो और तुम सदा ही सुरक्षित रहोगे। धर्मी देश के अधिकारी होंगे और वहाँ सदा के लिए बस जायेंगे।

📒जयघोष

अल्लेलूया! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा, मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:7-10

"हम अयोग्य सेवक भर हैं, हमने अपना कर्त्तव्य मात्र पूरा किया है।"

प्रभु ने यह कहा, "यदि तुम्हारा सेवक हल जोत कर या ढोर चरा कर खेत से लौटे तो तुम में ऐसा कौन है जो उस से कहेगा, 'आओ, तुरन्त भोजन करने बैठ जाओ'? क्या वह उस से यह नहीं कहेगा, 'मेरा भोजन तैयार करो। जब तक मैं खा-पी न लूँ, कमर कस कर परोसते रहो। बाद में तुम भी खा-पी लेना'? क्या स्वामी को उस नौकर को इसीलिए धन्यवाद देना चाहिए कि उसने उसकी आज्ञा का पालन किया है? तुम्हारी भी वही दशा है। सभी आज्ञाओं का पालन करने के बाद तुम को कहना चाहिए, 'हम अयोग्य सेवक भर हैं, हमने अपना कर्त्तव्य मात्र पूरा किया है'।"

प्रभु का सुसमाचार।