वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

प्रज्ञा-ग्रन्थ 18:14-16;19:6-9

सन्त योहन का तीसरा पत्र 5-8

"हमें भाइयों का सेवा-सत्कार करना चाहिए, जिससे हम सत्य की सेवा में उनके सहयोगी बन जायें।”

प्रियवर! आप भाइयों के लिए और ऐसे भाइयों के लिए जिन से आप अपरिचित हैं जो कुछ कर रहे हैं, यह एक सच्चे विश्वासी के योग्य ही है। उन्होंने यहाँ की कलीसिया के सामने आपके भ्रातृप्रेम का साक्ष्य दिया। यदि आप उनकी अगली यात्रा का ऐसा प्रबन्ध करेंगे, जो ईश्वर के योग्य हो, तो अच्छा काम करेंगे। क्योंकि वे मसीह का कार्य करने निकले हैं और गैर-ईसाइयों से कुछ नहीं लेते। इसलिए ऐसे लोगों का सेवा-सत्कार करना हमारा कर्त्तव्य है, जिससे हम सत्य की सेवा में उनके सहयोगी बन जायें।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 111:1-6

अनुवाक्य : धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता है!

1. धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता और उसकी आज्ञाओं को हृदय से चाहता है! उसका वंश पृथ्वी पर फलेगा-फूलेगा। प्रभु की आशिष धर्मियों की सन्तति पर बनी रहती है।

2. उसका घर भरा-पूरा होगा, उसकी धार्मिकता कभी विचलित नहीं होगी। वह धर्मियों के लिए अंधकार का प्रकाश है। वह दयालु, कोमल हृदय और न्यायप्रिय है।

3. वह तरस खा कर उधार देता और ईमानदारी से अपना कारबार करता है। वह सन्मार्ग से कभी नहीं भटकेगा। उसकी स्मृति सदा बनी रहेगी।

📒जयघोष

अल्लेलूया! ईश्वर ने सुसमाचार द्वारा हमें प्रभु येसु मसीह की महिमा का भागी बना दिया है। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 18:1-8

"ईश्वर अपने चुने हुए लोगों के लिए, जो उसकी दुहाई देते हैं, न्याय की व्यवस्था करेगा।"

नित्य प्रार्थना करनी चाहिए और कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए- येसु ने यह समझाने के लिए उन्हें एक दृष्टान्त सुनाया। "किसी नगर में एक न्यायकर्त्ता था, जो न तो ईश्वर से डरता और न किसी की परवाह करता था। उसी नगर में एक विधवा थी। वह उसके पास आ कर कहा करती थी, 'मेरे मुद्दई के विरुद्ध मुझे न्याय दिलाइए'। बहुत समय तक वह अस्वीकार करता रहा। बाद में उसने मन-ही-मन यह कहा, 'मैं न तो ईश्वर से डरता और न किसी की परवाह करता हूँ, किन्तु वह विधवा मुझे तंग करती है; इसलिए मैं उसके लिए न्याय की व्यवस्था करूँगा, जिससे वह बार-बार आ-आ कर मेरी नाक में दम न करती रहे'।" प्रभु ने कहा, "सुनते हो कि वह अधर्मी न्यायकर्त्ता क्या कहता है? क्या ईश्वर अपने चुने हुए लोगों के लिए, जो रात-दिन उसकी दुहाई देते रहते हैं, न्याय की व्यवस्था नहीं करेगा? क्या वह उनके विषय में देर करेगा? मैं तुम से कहता हूँ - वह शीघ्र ही उनके लिए न्याय करेगा। परन्तु जब मानव पुत्र आयेगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास बचा हुआ पायेगा?"

प्रभु का सुसमाचार।