इसके बाद मैं योहन ने एक दिव्य दृश्य देखा। मैंने देखा कि स्वर्ग में एक द्वार खुला है और वह तुरही जैसी वाणी, जिसे मैंने पहले अपने से बातें करते सुना था, बोल रही है, "यहाँ, ऊपर आओ; मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि बाद में क्या होने वाला है।" मैं तुरन्त आत्मा से आविष्ट हो गया। मैंने देखा कि स्वर्ग में एक सिंहासन रखा हुआ है और उस पर कोई विराजमान है, जिसका रूप-रंग सूर्यकान्त और रुधिराख्य के सदृश है। और सिंहासन के चारों ओर मरकत-मणि जैसा एक आभा-मण्डल है। सिंहासन के चारों ओर चौबीस सिंहासन रखे हुए हैं और उन पर चौबीस वयोवृद्ध विराजमान हैं। वे उजले वस्त्र पहने हुए हैं और उनके सिर पर सोने के मुकुट हैं। सिंहासन में से बिजलियाँ, वाणियाँ और मेघगर्जन निकलते हैं। सिंहासन के सामने आग तैंतीसवाँ सप्ताह बुधवार की सात मशालें जल रही हैं; ये ईश्वर के सात आत्मा हैं। सिंहासन के आसपास का फर्श मानों स्फटिक सदृश पारदर्शी समुद्र है। बीच में, सिंहासन के आसपास चार प्राणी हैं; वे आगे और पीछे की ओर आँखों से भरे हुए हैं। पहला प्राणी सिंह के सदृश है और दूसरा प्राणी साँड़ के सदृश। तीसरे प्राणी का चेहरा मनुष्य-जैसा है और चौथे प्राणी का उड़ने वाले गुरुड़-जैसा। चारों प्राणियों के छह-छह पंख हैं और वे भीतर-बाहर आँखों से भरे हुए हैं। और वे रातदिन निरन्तर यह कहते रहते हैं – पवित्र, पवित्र, पवित्र, सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर! जो था, जो है और जो आने वाला है! जब-जब प्राणी सिंहासन पर विराजमान, युग-युगों तक जीवित रहने वाले को महिमा, सम्मान और धन्यवाद देते हैं, तब-तब चौबीस वयोवृद्ध सिंहासन पर विराजमान को दण्डवत् करते हैं, युग-युगों तक जीवित रहने वाले की आराधना करते हैं और यह कहते हुए सिंहासन के सामने अपने मुकुट डालते हैं "हे हमारे प्रभु-ईश्वर! तू महिमा, सम्मान और सामर्थ्य का अधिकारी है; क्योंकि तूने विश्व की सृष्टि की; तेरी ही इच्छा से वह अस्तित्व में आया और उसकी सृष्टि हुई है।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : पवित्र, पवित्र, पवित्र, सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर!
1. प्रभु के मंदिर में उसकी स्तुति करो। उसके महिमामय आकाश में उसकी स्तुति करो। उसके महान् कार्यों के कारण उसकी * स्तुति करो। उसके परम प्रताप के कारण उसकी स्तुति करो।
2. तुरही फूंकते हुए उसकी स्तुति करो। वीणा और सितार बजाते हुए उसकी स्तुति करो। ढोल बजाते हुए और नृत्य करते हुए उसकी स्तुति करो। तानपूरा और बाँसुरी बजाते हुए उसकी स्तुति करो।
3. झाँझों की ध्वनि पर उसकी स्तुति करो। विजय की झाँझों को बजाते हुए उसकी स्तुति करो। सभी प्राणी प्रभु की स्तुति करें।
अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें चुना है, जिससे तुम जा कर फल उत्पन्न करो और तुम्हारा फल बना रहे।” अल्लेलूया!
येसु को येरुसालेम के निकट पा कर लोग समझ रहे थे कि ईश्वर का राज्य तुरन्त प्रकट होने वाला है। इसलिए येसु ने यह दृष्टान्त सुनाया, "एक कुलीन मनुष्य राजपद प्राप्त कर लौटने के विचार से दूर देश चला गया। उसने अपने दास सेवकों को बुलाया और उन्हें एक-एक अशर्फी दे कर कहा, 'मेरे लौटने तक व्यापार करो'।" "उसके नगर-निवासी उस से बैर रखते थे और उन्होंने उसके पीछे एक प्रतिनिधि-मण्डल द्वारा कहला भेजा कि हम नहीं चाहते कि वह मनुष्य हम पर राज्य करे।" "वह राजपद पा कर लौटा और उसने जिन सेवकों को धन दिया था, उन्हें बुला भेजा और यह जानना चाहा कि प्रत्येक ने व्यापार से कितना कमाया है। पहले ने, आ कर कहा, 'स्वामी! आपकी एक अशर्फी ने दस अशर्फियाँ कमायी हैं'। स्वामी ने उस से कहा, 'शाबाश, भले सेवक! तुम छोटी-से-छोटी बातों में ईमानदार निकले, इसलिए तुम्हें दस नगरों पर अधिकार मिलेगा'। दूसरे ने आ कर कहा, 'स्वामी! आपकी एक अशर्फी ने पाँच अशर्फियाँ कमायी हैं' और स्वामी ने उस से भी कहा, 'तुम्हें पाँच नगरों पर अधिकार मिलेगा'। अब तीसरे ने आ कर कहा, 'स्वामी! देखिए, यह है आपकी अशर्फी। मैंने इसे एक अँगोछे में बाँध रखा था।' मैं आप से डरता था, क्योंकि आप कठोर हैं। आपने जो जमा नहीं किया, उसे आप निकाल लेते हैं और जो नहीं बोया, उसे लुनते हैं।" स्वामी ने उस से कहा, 'रे दुष्ट सेवक! मैं तेरे ही शब्दों से तेरा न्याय करूँगा। तू जानता था कि मैं कठोर हूँ। मैंने जो जमा नहीं किया, उसे मैं निकाल लेता हूँ और जो नहीं बोया, उसे लुनता हूँ। तो तूने मेरा धन महाजन के यहाँ क्यों नहीं रख दिया? तब मैं लौट कर उसे सूद के साथ वसूल कर लेता।' और स्वामी ने वहाँ उपस्थित लोगों से कहा, 'इस से यह अशर्फी ले लो और जिसके पास दस अशर्फियाँ हैं, उसी को दे दो'। उन्होंने उस से कहा, 'स्वामी! उसके पास तो, दस अशर्फियाँ हैं'। 'मैं तुम से कहता हूँ - जिसके पास कुछ है, उसी को और दिया जायेगा; लेकिन जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जायेगा जो उसके पास है। और मेरे बैरियों को, जो यह नहीं चाहते थे कि मैं उन पर राज्य करूँ, इधर ला कर मेरे सामने मार डालो'।” इतना कह कर येसु येरुसालेम की ओर आगे बढ़े।
प्रभु का सुसमाचार।