वर्ष का तैंतीसवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

प्रकाशना-ग्रन्थ 5:1-10

"मेमने का वध किया गया है। उसने अपना रक्त बहा कर प्रत्येक राष्ट्र के मनुष्यों का उद्धार किया।"

इसके बाद मैं-योहन-ने देखा कि सिंहासन पर विराजमान के दाहिने हाथ में एक लपेटी हुई पुस्तक है, जिस पर दोनों ओर लिखा हुआ है और जिसे सात मोहरें लगा कर बन्द कर दिया गया है। और मैंने एक शक्तिशाली स्वर्गदूत को देखा, जो ऊँचे स्वर से पुकार रहा है, "पुस्तक खोलने और उसकी मोहरें तोड़ने योग्य कौन है? " किन्तु स्वर्ग में पृथ्वी पर या पृथ्वी के नीचे कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जो पुस्तक खोलने या पढ़ने में समर्थ हो। मैं फूट-फूट कर रोने लगा, क्योंकि पुस्तक खोलने या पढ़ने योग्य कोई नहीं मिला। इस पर वयोवृद्धों में से एक ने मुझ से कहा, "मत रोओ! देखो यूदा-वंशी सिंह, दाऊद की सन्तति ने विजय पायी है। वह पुस्तक और उसकी मोहरें खोलने योग्य है।" तब मैंने सिंहासन के पास के चार प्राणियों और वयोवृद्धों के बीच खड़े एक मेमने को देखा। वह मानो वध किया हुआ था। उसके सात सींग और सात नेत्र थे ये ईश्वर के सात आत्मा हैं, जिन्हें ईश्वर ने सारी पृथ्वी पर भेजा है। तब मेमने ने पास आ कर सिंहासन पर बैठने वाले के दाहिने हाथ से पुस्तक ले ली। जब मेमना पुस्तक ले चुका, तो चार प्राणी तथा चौबीस वयोवृद्ध मेमने के सामने गिर पड़े। प्रत्येक वयोवृद्ध के हाथ में वीणा थी और धूप से भरे स्वर्ण पात्र भी ये सन्तों की प्रार्थनाएँ हैं। वे यह कहते हुए एक नया गीत गा रहे थे, "तू पुस्तक ग्रहण कर उसकी मोहरें खोलने योग्य है; क्योंकि तेरा वध किया गया है। तूने अपना रक्त बहा कर ईश्वर के लिए प्रत्येक वंश, भाषा, प्रजा और राष्ट्र के मनुष्यों को खरीद लिया है। तूने उन्हें हमारे ईश्वर की दृष्टि में याजकों का राजवंश बना दिया है और वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 149:1-6,9

अनुवाक्य : तूने हमें ईश्वर की दृष्टि में याजकों का राजवंश बना दिया है। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ, भक्तों की मण्डली में उसकी स्तुति करो। इस्राएल अपने सृष्टिकर्ता में आनन्द मनाये। सियोन के पुत्र अपने राजा की जयकार करें।

2. वे नृत्य करते हुए उसका नाम धन्य कहें, डफलीं और सितार बजाते हुए उसकी स्तुति करें; क्योंकि प्रभु अपनी प्रजा को प्यार करता और पददलितों का उद्धार करता है।

3. प्रभु के भक्त विजय के गीत सुनायें और अपने यहाँ आनन्द मनायें। वे ईश्वर की स्तुति करते रहें। इस में सभी सन्तों का गौरव है।

📒जयघोष

अल्लेलूया! आज अपना हृदय कठोर न बनाओ, प्रभु की वाणी पर ध्यान दो। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

"यदि तू यह समझ पाता कि किन बातों में तेरी शांति है।”

येरुसालेम के निकट पहुँचने पर येसु ने शहर को देखा। वह उस पर रो पड़े और बोले, "हाय! कितना अच्छा होता यदि तू भी इस शुभ दिन यह समझ पाता कि किन बातों में तेरी शांति है। परन्तु अभी वे बातें तेरी आँखों में छिपी हुई हैं। तुझ पर वे दिन आयेंगे जब तेरे शत्रु तेरे चारों ओर मोरचा बांधकर तुझे घेर लेंगे, चारों ओर से तुझ पर दबाव डालेंगे, तुझे और तेरे अन्दर रहने वाली तेरी प्रजा को मटियामेट कर देंगे और तुझ में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर पड़ा नहीं रहने देंगे, क्योंकि तूने अपने प्रभु के आगमन की, शुभ घड़ी को नहीं पहचाना।”

प्रभु का सुसमाचार।