वर्ष का तैंतीसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

प्रकाशना-ग्रन्थ 10: 8-11

"मैंने पुस्तिका ले ली और खायी।”

जो वाणी मैं-योहन-ने स्वर्ग से आती हुई सुनी थी, वह फिर मुझे सम्बोधित कर बोली, "जाओ, जो स्वर्गदूत समुद्र और पृथ्वी पर खड़ा है, उसके हाथ से वह खुली पुस्तक ले लो।" इसलिए मैंने स्वर्गदूत के पास जा कर उस से निवेदन किया कि वह मुझे पुस्तिका दे दे। उसने कहा, 'इसे ले लो और खाओ। वह तुम्हारे पेट में कड़वी, किन्तु तुम्हारे मुँह में मधु जैसी मीठी होगी।" मैंने स्वर्गदूत के हाथ से पुस्तिका ले ली और खायी। वह मेरे मुँह में मधु जैसी मीठी लगी किन्तु जब मैं उसे खा चुका, तो मेरा पेट कड़वा हो गया। तब मुझ से कहा गया, "तुम्हें फिर जातियों, राष्ट्रों, भाषाओं और बहुत-से राजाओं के विषय में भविष्यवाणी करनी होगी।”

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 118:14,24,72,103,111,131

अनुवाक्य : तेरी प्रतिज्ञा मेरे लिए कितनी मधुर है।

1. धन-सम्पत्ति की अपेक्षा मुझे तेरी इच्छा पूरी करने से अधिक आनन्द मिला है। 2. तेरी इच्छा पूरी करने में आनन्द आता है, तेरी आज्ञाएँ मेरा पथप्रदर्शन करती हैं।

3. संसार की सोना-चाँदी की अपेक्षा मुझे तेरी संहिता कहीं अधिक वांछनीय है।

4. मुँह में टपकने वाले मधु की अपेक्षा तेरी प्रतिज्ञा मेरे लिए कहीं अधिक मधुर है।

5. तेरी शिक्षा ही बड़ी सम्पत्ति है। इस में मेरा हृदय रमता है।

6. मैं आह भर कर बड़ी उत्सुकता से तेरी आज्ञाओं के लिए तरसता रहता हूँ।

📒जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 19:45-48

"तुम लोगों ने ईश्वर का मंदिर लुटेरों का अड्डा बना दिया है।"

येसु मंदिर में प्रवेश कर बिक्री करने वालों को यह कहते हुए बाहर निकालने लगे, "लिखा है- मेरा घर प्रार्थना का घर होगा, परन्तु तुम लोगों ने उसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।" वह प्रतिदिन मंदिर में शिक्षा देते थे। महायाजक, शास्त्री और जनता के नेता उनके सर्वनाश का उपाय ढूँढ़ रहे थे, परन्तु उन्हें नहीं सूझ रहा था कि क्या करें; क्योंकि सारी जनता बड़ी रुचि से उनकी शिक्षा सुनती थी।

प्रभु का सुसमाचार।