वर्ष का तैंतीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

प्रकाशना-ग्रन्थ 11:4-12

"ये दो नबी पृथ्वी के निवासियों को सताया करते थे।”

मुझ - योहन - से, यह कहा गया, "ये मेरे दो साक्षी हैं। ये वे जैतून के दो पेड़ और दो दीपाधार हैं, जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े हैं। यदि कोई इन्हें हानि पहुँचाना चाहे तो इनके मुख से आग निकलती है और वह इनके शत्रुओं को नष्ट कर देती है। जो इन्हें हानि पहुँचाना चाहेगा, उसे उसी प्रकार मर जाना होगा। इन्हें आकाश का द्वार बन्द करने का अधिकार है; इनके भविष्यवाणी के समय पानी नहीं बरसेगा। इन्हें पानी को रक्त में बदलने का और जब-जब चाहें, तब-तब पृथ्वी पर हर प्रकार की महामारी भेजने का भी अधिकार है।" “जब ये अपना साक्ष्य दे चुके होंगे तो अगाध गर्त्त में से ऊपर उठने वाला पशु इन से युद्ध करेगा और इन्हें परास्त कर इनका बध करेगा। इनकी लाशें उस महानगर के चौक में पड़ी रहेंगी, जो लाक्षणिक भाषा में सोदोम या मिस्त्र कहलाता है, और जहाँ इनके प्रभु को क्रूस पर आरोपित किया गया था। साढ़े तीन दिनों तक हर जाति, वंश, भाषा और राष्ट्र के लोग इनकी लाशें देखने आयेंगे और इन्हें कब्र में रखने की अनुमति नहीं देंगे। पृथ्वी के निवासी इनके कारण उल्लसित हो कर आनन्द मनायेंगे और एक दूसरे को उपहार देंगे, क्योंकि ये दो नबी पृथ्वी के निवासियों को सताया करते थे।” "किन्तु साढ़े तीन दिनों बाद ईश्वर की ओर से इन दोनों में प्राण आये और ये उठ खड़े हो गये। तब सब देखने वालों पर आतंक छा गया। स्वर्ग से एक वाणी इन से यह कहती हुई सुनाई पड़ी, 'यहाँ ऊपर आओ'। देखते-देखते बादल में स्वर्ग चले गये।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 143:1-2,9-10

अनुवाक्य : प्रभु, मेरी चट्टान, धन्य है।

1. प्रभु, मेरी चट्टान, धन्य है। वह मेरे हाथों को युद्ध का और मेरी उंगलियों को समर का प्रशिक्षण देता है।

2. वह मुझे प्यार करता और सुरक्षित रखता है। वह मेरा गढ़ है, मेरा मुक्तिदाता, मेरी ढाल और मेरा शरणस्थान। वह अन्य राष्ट्रों को मेरे अधीन करता है।

3. हे प्रभु! मैं तेरे लिए एक नया गीत गाऊँगा, मैं वीणा बजाते हुए तेरी स्तुति करूँगा। तू राजाओं को विजय दिलाता और अपने दास दाऊद की रक्षा करता है।

📒जयघोष

अल्लेलूया! हमारे मुक्तिदाता और मसीह ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 20:27-40

"प्रभु मृतकों का नहीं, जीवितों का ईश्वर है।"

सदूकी येसु के पास आये। उनकी धारणा है कि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता। उन्होंने येसु के सामने यह प्रश्न रखा, "गुरुवर! मूसा ने हमारे लिए यह नियम बनाया है यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते निस्सन्तान मर जाये, तो वह अपने भाई की विधवा को ब्याह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे। सात भाई थे। पहले ने विवाह किया और वह निस्सन्तान मर गया। दूसरा और तीसरा आदि सातो भाई विधवा को ब्याह कर निस्सन्तान मर गये। अंत में वह स्त्री भी मर गयी। अब पुनरुत्थान में वह किसकी पत्नी होगी? वह तो सातो की पत्नी रह चुकी है।" येसु ने उन से कहा, "इस लोक में पुरुष विवाह करते हैं और स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं: परन्तु जो परलोक तथा मृतकों के पुनरुत्थान के योग्य पाये जाते हैं, उन लोगों में न तो पुरुष विवाह करते हैं और न स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं। वे फिर कभी नहीं मरते। वे तो स्वर्गदूतों के सदृश होते हैं और पुनरुत्थान की सन्तति बन जाते हैं। मृतकों का पुनरुत्थान होता है। मूसा ने भी झाड़ी की कथा में इसका संकेत किया है, जहाँ वह प्रभु को इब्राहीम का ईश्वर, इसहाक का ईश्वर और याकूब का ईश्वर कहते हैं। वह मृतकों का नहीं, - जीवितों का ईश्वर है, क्योंकि उसके लिए सभी जीवित हैं।" इस पर कुछ शास्त्रियों ने उस से कहा, "गुरुवर! आपने ठीक ही कहा।" इसके बाद उन्हें येसु से और कोई प्रश्न पूछने का साहस नहीं हुआ।

प्रभु का सुसमाचार।