मैं -योहन- ने फिर देखा': मेमना सियोन पर्वत पर खड़ा है। उसके साथ एक लाख चौवालीस हजार व्यक्ति हैं, जिनके माथे पर उसका नाम और उसके पिता का नाम अंकित है। मैंने तेजी से बहती हुई नदियों के निनाद और घोर मेघगर्जन की सी आवाज स्वर्ग से आती हुई सुनी। मैं जो आवाज सुन रहा था, वह वीणा बजाने वालों की सी आवाज थी। वे सिंहासन और चार प्राणियों एवं वयोवृद्धों के सामने एक नया गीत गा रहे थे। उन एक लाख चौवालीस हजार व्यक्तियों के सिवा, जिन को पृथ्वी पर से खरीद लिया गया था, और कोई वह गीत नहीं सीख सकता था। मेमना जहाँ कहीं भी जाता है, ये उसके साथ चलते हैं। ईश्वर और मेमने के लिए प्रथम फल के रूप में इन्हें मनुष्यों में से खरीदा गया है। इनके मुख में झूठ नहीं पाया गया; ये अनिन्द्य हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! जो लोग तेरे दर्शन के लिए तरसते हैं, वे ऐसे ही हैं।
1. पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी यह सब प्रभु का है। क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली है, प्रभु ने जल पर उसे स्थापित किया है।
2. प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मंदिर में कौन रह पायेगा? वही, जिसके हाथ निर्दोष हैं, जिसका हृदय निर्मल है, जिसका मन असार संसार में नहीं रमता।
3. उसी को प्रभु की आशिष प्राप्त होगी, वही अपने मुक्तिदाता ईश्वर से पुरस्कार पायेगा। वह उन लोगों के सदृश है, जो प्रभु की खोज में लगे होते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।
अल्लेलूया! जागते रहो और तैयार रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि किस घड़ी मानव पुत्र आयेगा। अल्लेलूया!
येसु ने आँखें ऊपर उठा कर देखा कि धनी लोग खजाने में अपना दान डाल रहे हैं। उन्होंने एक कंगाल विधवा को भी दो अधेले डालते हुए देखा और कहा, "मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ इस कंगाल विधवा ने उन सबों से अधिक डाला है। उन्होंने तो अपनी समृद्धि में से दान दिया, परन्तु इसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला।"
प्रभु का सुसमाचार।