मैं-योहन-ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा। उसके हाथ में अगाध गर्त्त की चाबी और एक बड़ी जंजीर थी। उसने पंखदार सर्प को, उसे पुराने साँप अर्थात् इबलीस या शैतान को पकड़ कर एक हजार वर्ष के लिए बाँधा और उसे अगाध गर्त्त में डाल दिया। उसने अगाध गर्त्त बन्द कर उस पर मोहर लगायी, जिससे वह सर्प एक हजार वर्ष पूरे हो जाने तक राष्ट्रों को नहीं बहकाये। इसके बाद थोड़े समय तक उसे छोड़ दिया जाना आवश्यक है। मैंने सिंहासन देखे; जो उन पर बैठने आये, उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया। मैंने उन लोगों की आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर येसु के साक्ष्य और ईश्वर के वचन के कारण काटे गये थे; जिन्होंने पशु और उसकी प्रतिमा की आराधना नहीं की थी और जिन्होंने अपने माथे और हाथों पर पशु का चिह्न नहीं अंकित होने दिया था। वे पुनर्जीवित हो कर मसीह के साथ एक हजार वर्ष तक राज्य करते थे। मैंने एक विशाल, श्वेत सिंहासन और उस पर विराजमान व्यक्ति को देखा। पृथ्वी और आकाश उसके सामने लुप्त हो गये और उनका कहीं भी पता नहीं चला। मैंने छोटे-बड़े सब मृतकों को सिंहासन के सामने खड़ा हुआ देखा। पुस्तकें खोली गयीं। तब जीवन-ग्रन्थ नामक पुस्तक खोली गयी। पुस्तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर कर्मों के अनुसार मृतकों का न्याय किया गया। समुद्र ने अपने मृतकों को दिया; तब मृत्यु तथा अधोलोक ने अपने मृतकों को दिया। हर एक का उसके कर्मों के अनुसार न्याय किया गया। इसके बाद मृत्यु और अधोलोक, दोनों को अग्निकुण्ड में डाल दिया गया। यह अग्निकुण्ड द्वितीय मृत्यु है। जिसका नाम जीवन-ग्रन्थ में लिखा हुआ नहीं मिला, वह अग्निकुण्ड में डाल दिया गया। तब मैंने एक नया आकाश और एक नयी पृथ्वी देखी। पुराना आकाश तथा पुरानी पृथ्वी, दोनों लुप्त हो गये थे और समद्र भी नहीं रह गया था। मैंने पवित्र नगर, नवीन येरुसालेम को ईश्वर के यहाँ से आकाश में उतरते देखा। वह अपने दुलहे के लिए सजायी हुई दुलहिन की तरह अलंकृत था।
अनुवाक्य : देखो, यह है मनुष्यों के बीच ईश्वर का निवास।
1. प्रभु का प्रांगण देखने के लिए मेरी आत्मा तरसती रहती है। मैं उल्लसित हो कर तन-मन से जीवन्त ईश्वर का स्तुतिगान करता हूँ।
2. गौरेया को बसेरा मिल जाता है और अबाबील को अपने बच्चों के लिए घोंसला। हे विश्वमण्डल के प्रभु! मेरे राजा! मेरे ईश्वर! मुझे तेरी वेदियाँ प्रिय हैं।
3. तेरे मंदिर में रहने वाले धन्य हैं। वे निरन्तर तेरा स्तुतिगान करते हैं। धन्य हैं वे, जो तुझ से बल पा कर तेरे पर्वत सियोन की तीर्थयात्रा करते हैं!
अल्लेलूया! उठ कर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है। अल्लेलूया!
येसु ने अपने शिष्यों को यह दृष्टान्त सुनाया, "अंजीर और दूसरे पेड़ों को देखो। जब उन में अंकुर फूटने लगते हैं, तब तुम सहज ही जान लेते हो कि गरमी आ रही है। इसी तरह जब तुम इन बातों को होते देखोगे, तो यह जान लेना कि ईश्वर का राज्य निकट है।" "मैं तुम से कहे देता हूँ कि इस पीढ़ी के अंत हो जाने से पूर्व ही, ये सब बातें घटित हो जायेंगी। आकाश और पृथ्वी टल जायें तो टल जायें, परन्तु मेरे शब्द नहीं टल सकते।”
प्रभु का सुसमाचार।