धर्मप्रचारक की धर्मसेवा की स्थापना


संत पापा फ्रांसिस ने 10 मई 2021 को “अन्तिक्यूम मिनिस्तेरियुम” (Antiquum ministerium) नामक प्रेरितिक पत्र लिख कर धर्मप्रचारक की धर्मसेवा (ministry of catechist) की स्थापना की। 11 मई को आविला के संत योहन के त्योहार अवसर पर इस पत्र को वतिकान द्वारा आठ भाषाओं में प्रकाशित किया गया। संत पापा इस प्रेरितिक पत्र के द्वारा कलीसिया में लोकधर्मियों के योगदानों को बढ़ावा देते हैं। द्वितीय वतिकान महासभा में लोकधर्मियों की भूमिका पर काफी विचार-विमर्श हुआ था। सन 1979 में लोकधर्मियों की भूमिका को बढ़ावा देने हेतु संत पापा पौलुस छठवें ने धर्माध्यक्षों की समितियों को अपने क्षेत्र में धर्मप्रचारकों की धर्मसेवा की स्थापना करने को प्रेरित किया।

संत पापा फ्रांसिस ने धर्मप्रचारक बनने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों को बाइबिल, ईशशात्र, मेषपालीय कार्य तथा शिक्षा शास्त्र में उचित तथा पर्याप्त प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

अभी तक वचन-सेवक (lector) तथा वेदी-सेवक (acolyte) कलीसिया की दो धर्मसेवायें थी। इसी साल के जनवरी महीने में संत पापा ने इन दोनों सेवाकार्यों में महिलाओं को भी शामिल करने की घोषणा की। इन दोनों धर्मसेवाओं को पहले “गौण अभिषेक” (minor orders) कहा जाता था। संत पाप पौलुस छठवें ने ही उसे बदल कर”धर्मसेवा” (ministries) कहने का निर्देश दिया। इन दोनों धर्मसेवाओं के साथ अब इस नयी धर्मसेवा को जोड दिया गया है।


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