ईशवचन विषयानुसार

पक्षपात


सूक्ति ग्रन्थ 28:21पक्षपात करना अनुचित है, किन्तु रोटी के टुकड़े के लिए मनुष्य पाप कर सकता है।

रोमियों 2:6-11(6) ईश्वर प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का फल देगा। (7) जो लोग धैर्यपूर्वक भलाई करते हुए महिमा, सम्मान और अमरत्व की खोज में लगे रहते हैं, ईश्वर उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करेगा। (8) और जो लोग स्वार्थी हैं और सत्य से विद्रोह करते हुए अधर्म पर चलते हैं, वे ईश्वर के क्रोध और प्रकोप के पात्र होंगे। (9) बुराई करने वाले प्रत्येक मनुष्य को-पहले यहूदी और फिर यूनानी को-कष्ट और संकट सहना पड़ेगा। (10) और भलाई करने वाले प्रत्येक मनुष्य को -पहले यहूदी और फिर यूनानी को- महिमा, सम्मान और शान्ति मिलेगी; (11) क्योंकि ईश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।

प्रेरित-चरित 10:34-35(34) पेत्रुस ने कहा, ''मैं अब अच्छी तरह समझ गया हूँ कि ईश्वर किसी के साथ पक्ष-पात नहीं करता। (35) मनुष्य किसी भी राष्ट्र का क्यों न हो, यदि वह ईश्वर पर श्रद्धा रख कर धर्माचरण करता है, तो वह ईश्वर का कृपापात्र बन जाता हैं।

गलातियों 3:26-28(26) क्योंकि आप लोग सब-के-सब ईसा मसीह में विश्वास करने के कारण ईश्वर की सन्तति हैं; (27) क्योंकि जितने लोगों ने मसीह का बपतिस्मा ग्रहण किया, उन्होंने मसीह को धारण किया है। (28) अब न तो कोई यहूदी और न यूनानी, न तो कोई दास है और न स्वतन्त्र, न तो कोई पुरुष है और न स्त्री-आप सब ईसा मसीह में एक हो गये हैं।

कलोसियों 3:9-12(9) आप लोगों ने अपना पुराना स्वभाव और उसके कर्मों को उतार कर (10) एक नया स्वभाव धारण किया है। वह स्वभाव अपने सृष्टिकर्ता का प्रतिरूप बन कर नवीन होता रहता और सत्य के ज्ञान की ओर आगे बढ़ता है, जहाँ पहुँच कर कोई भेद नहीं रहता, (11) जहाँ न यूनानी है या यहूदी, न ख़तना है या ख़तने का अभाव, न बर्बर है, न स्कूती, न दास और न स्वतन्त्र। वहाँ केवल मसीह हैं, जो सब कुछ और सब में हैं। (12) आप लोग ईश्वर की पवित्र एवं परमप्रिय चुनी हुई प्रजा है। इसलिए आप लोगों को अनुकम्पा, सहानुभूति, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता धारण करनी चाहिए।

विधि-विवरण 1:16-17( उस समय मैंने तुम्हारे न्यायाधीषों को आदेष दिया कि वे तुम्हारे भाइयों के दोनों पक्षों की बातें सुनकर उनका न्यायपूर्वक निर्णय करें। चाहे मामला दो इस्राएलियों का हो, चाहे एक स्वदेषी हो और दूसरा विदेषी। (17) न्याय करते समय किसी का पक्ष मत लो। छोटे-बडे+ सब के मामले समान भाव से सुनो। किसी से नहीं डरो। क्योंकि न्याय ईष्वर का है। यदि तुम्हें कोई मामला कठिन मालूम पडे+, तो उसे मेरे सामने रखो, जिससे मैं उस पर विचार कर सकूँ।

लेवी 19:15(15) तुम न्याय करते समय पक्षपात मत करो। तुम न तो दरिद्र का पक्ष लो और न धनी का मन रखो। तुम निष्पक्ष होकर अपने पड़ोसी का न्याय करो।

विधि-विवरण 10:17तुम्हारा प्रभु ईष्वर ईष्वरों का ईष्वर तथा प्रभुओं का प्रभु है। वह महान् शक्तिषाली तथा भीषण ईष्वर है। वह पक्षपात नहीं करता और घूस नहीं लेता।

तिमथी 5:21मैं ईश्वर, ईसा मसीह और कृपा-पात्र स्वर्गदूतों को साक्षी बना कर तुम से आग्रह के साथ यह अनुरोध करता हूँ कि तुम पूर्वाग्रह से मुक्त होकर और किसी के साथ पक्षपात किये बिना इन बातों का पालन करो।

याकूब 2:1-5 (1) भाइयो! आप लोग हमारे महिमान्वित प्रभु ईसा मसीह में विश्वास करते हैं, इसलिए भेदभाव और चापलूसी से दूर रहें। (2) मान लें कि आप लोगों की सभा में सोने की अंगूठी और कीमती वस्त्र पहने कोई व्यक्ति प्रवेश करता है और साथ ही फटे-पुराने कपड़े पहने कोई कंगाल। (3) यदि आप कीमती वस्त्र पहने व्यक्ति का विशेष ध्यान रख कर उस से कहें- ''आप यहाँ इस आसन पर विराजिए'' और कंगाल से कहें- ''तुम वहाँ खड़ रहो'' या ''मेरे पांवदान के पास बैठ जाओ''। (4) तो क्या आपने अपने मन में भेदभाव नहीं आने दिया और गलत विचार के अनुसार निर्णय नहीं दिया। (5) प्यारे भाइयो! सुन लें। क्या ईश्वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्टि में दरिद्र हैं, जिससे वे विश्वास के धनी हो जायें और उस राज्य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे असने अपने भक्तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है?


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Praise the Lord!