1) राजा अर्तजर्कसीस ने देश के प्रांतों और समुद्र के द्वीपों पर कर लगाया।
2) उसके सब महान् और प्रतापी कार्यों का विवरण और राजा द्वारा मोरदयक को प्रदत्त सम्मान और अधिकार का वर्णन मेदिया और फारस के राजाओं के इतिहास-ग्रंथ में किया गया है।
3) राजा अर्तज़र्कसीस के बाद यहूदी मोरदकय का स्थान दूसरा था। वह यहूदियों में सम्मनित और अपने बहु-संख्यक भाइयों में लोकप्रिय था; क्योंकि वह अपनी जाति के लोगों का उपकारी और उनकी सुख-शांति के लिए प्रयत्न शील था। (a) मोरदकय ने कहा, "यह सब ईश्वर की ओर से ही हुआ है।" (b) मोरदकय को अपना देखा हुआ स्वप्न याद आया, जिसका संबंध इन्हीं घटनाओं से था। उसकी हर बात सच निकली। (c) "वह छोटा झरना बड़ी नदी बन गया, फिर प्रकाश, सूर्य और अपार जलधारा, झरना और नहीं एस्तेर है, जिसके साथ राजा ने विवाह किया और उसे रानी बनाया। (d) वे दोनों पंखदार सर्प मैं और हामान है। (e) जो राष्ट्र एकत्र हुये, वे, वे है, यो यहूदियों का नाम मिटाना चाहते थे। (f) जो ईश्वर की दुहाई देते थे, वे थे-मेरी जाति इस्राएल। प्रभु ने अपनी प्रजा का उद्धार किया, हमें सब विपत्तियों से मुक्त किया और राष्ट्रों में अपूर्व चिह्न और चमत्कार दिखाये। (g) उसने दो चिट्ठियों का आदेश दिया, एक ईश्वर की प्रजा के लिए और एक सब अन्य जातियों के लिए (h) वे दोनों चिट्ठियाँ उस समय निकालीं, जिसे ईश्वर ने सब जातियों के विचार का दिन निश्चित किया। (i) ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली और अपनी विरासत को ेन्याय दिलाया। (k) इस्राएली अदार महीने के चैदहवें और पंद्रहवें दिन एकत्र होकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी उल्लास और आनन्द के साथ ईश्वर के सामने उन दिनों का उत्सव मनायेंगे। (l) पतोलेमेउस और क्लेओपात्रा के राज्य के चैथे वर्ष दोसीते, जो अपने को पुरोहित और लेवी कहता था, और उसका पुत्र पतोलेमेउस पूरीम-संबंधी यह पत्र ले कर आये। उन्होंने इसकी सत्यता प्रमाणित की और इस येरूसालेम के समुदाय के सदस्य लिसिमक द्वारा अनूदित बतलाया।