📖 - मीकाह का ग्रन्थ (Michah)

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अध्याय 02

1) धिक्कार उन लोगों को, जो अधर्म की योजना बनाते और शय्या पर पडे हुए बुराई सोचा करते हैं! वे उठते ही ऐसा करते हैं, क्योंकि उनके हाथ में शक्ति हैं।

2) यदि वे किसी खेत के लिए लालच करते हैं, तो उसे ले लेते हैं; यदि किसी घर पर उनकी आँख लग जाती, तो वे उसे हथियाते हैं। वे मनुष्य और उसके घर को, मालिक और उसकी सम्पत्ति को अपने अधिकार में कर लेते हैं।

3) इसलिए प्रभु उन लोगों से यह कहता है- मैं तुम पर एक ऐसी विपत्ति भेजने की सोच रहा हूँ, जिसका भार तुम अपने कंधों से उतार नहीं सकोगे और फिर सीधे हो कर चल नहीं सकोगे। यह तुम्हारे लिए घोर संकट का समय होगा।

4) उस दिन लोग तुम्हारे विषय में उपहास का गीत गायेंगे और तुम लोग इस तरह विलाप करोगे- हमारा सर्वनाश हो गया है। प्रभु ने अपनी प्रजा की भूमि को विदेशियों को दे दिया। उसने विधार्मियों में हमारे खेत बाँट दिये। कौन हमें हमारे खेत लौटा सकेगा?

5) तब कोई नहीं होगा, जो चिट्ठी डाल कर तुम्हें प्रभु की सभा में विरासत दिलायेगा।

6) "मत बको", वे बकते हैं, "इस तरह मत बको; हमें शरमिन्दा नहीं होना पडेगा"।

7) याकूब के घराने! क्या यह कहा जा सकता है, क्या प्रभु अपनी सहनशक्ति खो बैठा है? क्या वह इस प्रकार कार्य करता है? क्या उसके शब्द इस्राएल के प्रति दयापूर्ण नहीं हैं।

8) किन्तु तुम तो शत्रु-जैसे मेरे लोगों का विरोध करते हो; तुम निर्दोष लोगों की चादर लूटते हो, और जो सुख-शांति से रहते हैं, तुम उन पर धावा बोल देते हो।

9) तुम मेरे लोगों की स्त्रियों को उनके प्रिय घरों से भगा देते हो, और उनके बच्चों को बन्दी बना कर उन से यह स्वतन्त्रता छीन लेते हो, जिसे मैंने स्वयं उन को प्रदान किया था।

10) हटो, भाग जाओ, अब यह रहने की जगह नहीं रह गयी। तुम थोडे-से रूपयों के लिए मूल्यवान् वस्तु रेहन रखते हो।

11) इस प्रकार के लोगों के लिए ऐसा झूठा नबी पसंद आयेगा, जो अनाप-शनाप बकते फिरेगा और नबूवत करेगा, "शराब पिओ, नशा जम जाने दो"।

12) मैं याकूब के समस्त घराने को इस्राएल के बाकी लोगों को बुला भेजूँगा और एकत्रित करूँगा। बाड़े में भेड़ों के झुण्ड की तरह, या रखवाले के साथ चरागाह में रेवड की तरह, तुम निडर रहोगे। उनका नेता उनके आगे-आगे चलेगा; वे उनके पीछे-पीछे चल कर द्वार को पार कर बाहर निकलेंगे;

13) उनका राजा उनके आगे-आगे चलेगा और प्रभु-ईश्वर उनका नेतृत्व करेगा।



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