📖 - मीकाह का ग्रन्थ (Michah)

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अध्याय 04

1) भविय में प्रभु के मन्दिर का पर्वत पहाड़ों से ऊपर उठेगा और पहाडियों से ऊँचा होगा। लोग बड़ी संख्या में यहाँ आयेंगे।

2) बहुत-से राष्ट्र यह कह कर यहाँ के लिए प्रस्थान करेंगे, "आओ हम प्रभु के पर्वत, याकूब के ईश्वर के मन्दिर चल दें, जिससे वह हमें अपने मार्ग सिखाये और हम उसके पथ पर चलते रहें; क्योंकि सियोन से संहिता प्रकट होगी और येरूसालेम से प्रभु की वाणी।

3) वह असंख्य लोगों का शासन करेगा और दूरवर्ती शक्तिशाली राष्ट्रों के आपसी झगड़े मिटायेगा। वे अपनी तलवार को पीट-पीट कर फाल और अपने भाले को हँसिया बनायेंगे। राष्ट्र एक दूसरे पर तलवार नहीं चलायेंगे और युद्ध-विद्या की शिक्षा समाप्त हो जायेगी।

4) इस प्रकार सब लोग अपने-अपने अंगूर और अंजीर के पेड के नीचे शान्तिपूर्वक बैठेंगे, क्योंकि विश्वमण्डल के प्रभु ने स्वयं यह कहा है।"

5) राष्ट्रों के लोग अपने-अपने देवता के नाम पर चलते हैं, पर हम सदा-सर्वदा प्रभु-ईश्वर के ही नाम पर चलते रहते हैं।

6) प्रभु यह कहता हैः उस दिन मैं लँगडे-लूलों को इकट्ठा करूँगा और बिखरे हुओं को एकत्रित करूँगा तथा उन को भी, जिन्हें मैंने दण्ड दिया था।

7) जीवित बच गये लँगडे-लूलों और निर्वासितों में से मैं शक्तिशाली राष्ट्र बनाऊँगा। और उस समय से आगे और अनन्त काल तक सियोन पर्वत पर से प्रभु-ईश्वर उन पर शासन करता रहेगा।

8) गल्ला-बुर्ज, सियोन-पुत्री की पहाड़ी! तुझ को तेरी प्राचीन प्रभुसत्ता लौटा दी जायेगी। और येरूसालेम-पुत्री को उसका राज्याधिकार भी।

9) येरूसालेम नगरी! तू क्यों चिल्लाती है? क्या तेरे यहाँ कोई राजा नहीं? क्या तेरा कोई मंत्री नहीं कि तू प्रसव-पीडा में गर्भवती स्त्री की तरह तपड रही है।?

10) सियोन-पुत्री! प्रसूता स्त्री के समान छटपटा और कराह ले, तुझे अब नगर छोड कर भागना और बेघरबार रहना पडेगा। पहले तुझे बाबुल जाना पडेगा; वहाँ से प्रभु तुझे छुडायेगा और तेरे शत्रुओं के चंगुल से तेरा उद्वार करेगा।

11) अभी अनेक राष्ट्र तेरे विरुद्ध तैनात हैं; वे कहते हैं, "इसे भ्रष्ट कर दिया जाये कि हम सियोन के पतन पर आनन्द मनायें"।

12) किंतु वे प्रभु के विचार क्या जानते, वे प्रभु की यह योजना क्या समझते हैं कि उसने उन को वैसे ही इकट्ठा किया है, जैसे खलिहान में पूले इकट्ठे किये जाते हैं,।

13) सियोन-पुत्री! उठ कर दँवरी कर; मैं तेरी सींग लोहे के और तेरे खुर काँसे के बना दूँगा, जिससे तू अनेक राष्ट्रों को रौंद सकेगी। तू उनकी सम्पत्ति लूट कर प्रभु को समार्पित कर, उनका धन समस्त पृथ्वी के प्रभु के चरणों में सौंप दे।

14) अब तू दीवार के भीतर हट जा और किलाबन्दी ठीक कर, क्योंकि शत्रुओं ने घेरा डाल रखा है, कि वे इस्राएल के शासक के मुँह पर तमाचा मारें।



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