📖 - टोबीत का ग्रन्थ

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अध्याय 08

1) वे भोजन के बाद विश्राम करना चाहते थे। उन्होंने युवक को ले जा कर सारा के कमरे में पहुँचा दिया।

2) टोबीयाह को रफ़ाएल का कहना याद आया और उसने अपने बस्ते में मछली का दिल और कलेजा निकाल कर जलते धूपदान पर रख दिया।

3) पिशाच मछली की गन्ध सूँघते ही मिस्र के ऊपरी प्रदेश में भाग गया। एफ़ाएल ने वहाँ जा कर उसे बाँध दिया और तुरन्त वापस आया।

4) माता-पिता ने कमरे से बाहर आ कर उसका दरवाज़ा बन्द कर दिया। टोबीयाह ने पलंग से उठ कर सारा से कहा, "बहन! उठो। हम प्रार्थना करें और अपने प्रभु से निवेदन करें कि वह हम पर दया करें और हमें सुरक्षित रखे"।

5) वह उठी और दोनों प्रार्थना करने लगे। उन्होंने प्रभु से निवेदन किया कि वह उन्हें सुरक्षित रखे। वे कहने लगे, "हमारे पूर्वजों के प्रभु! तू धन्य है! तेरा नाम युग-युग तक धन्य है। आकाश और सारी सृष्टि तुझे अनन्त काल तक धन्य कहे।

6) तूने आदम की सृष्टि की और उसे स्थायी सहयोगिनी के रूप में हेवा को प्रदान किया। उन दोनों से मानवजाति की उत्पत्ति हुई है। तूने कहा कि अकेला रहना मनुष्य के लिए अच्छा नहीं। इसलिए हम उसके लिए सदृश एक सहयोगिनी बनायें।

7) अब मैं काम-वासना से प्रेरित हो कर नहीं, बल्कि धर्म के अनुसार अपनी इस बहन को पत्नी के रूप में ग्रहण करता हूँ। इस पर और मुझ पर दया कर और ऐसा कर कि हम दोनों बुढ़ापे तक सकुशल साथ रहें।"

8) दोनों ने कहा, "आमेन! आमेन!

9) और वे रात बिताने के लिए पलंग पर लेट गये।

10) रागुएल ने उठ कर अपने नौकरों को बुलाया। वे उसके साथ क़ब्र खोदने गये; क्योंकि वह सोचता था, "कहीं ऐसा न हो कि टोबीयाह की मृत्यु हो गयी हो और लोग हमारा उपहास और अपमान करें"।

11) रागुएल क़ब्र खोदने के बाद लौटा और अपनी पत्नी को बुला कर

12) उस से बोला, "एक नौकरानी को भेजो। वह अन्दर जा कर पता लगाये कि वह जीवित है या नहीं। यदि उसकी मृृत्यु हो गयी है, तो हम उसे सब के अनजाने दफ़नायें।"

13) उन्होंने दीपक जला कर नौकरानी को भेजा। दरवाज़ा खोला गया और नौकरानी ने अन्दर जा कर देखा कि दोनों गहरी नींद में सो रहे हैं।

14) उसने लौट कर समाचार दिया कि वह जीवित और सकुशल है।

15) उन्होंने स्वर्ग के ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहा, "ईश्वर! तू धन्य है! तू हर प्र्रकार की पावन स्तुति के योग्य है। तेरे सभी भक्त और तेरी सारी सृष्टि तुझे धन्य कहे। तेरे सभी स्वर्गदूत और कृपापात्र तुझे युग-युग धन्य कहें।

16) तू धन्य हैं, क्योंकि तूने मुझे आनन्द प्रदान किया। जिस बात की मुझे आशंका थी, वह घटित नहीं हुई। तूने अपनी महती दया के अनुसार हमारे साथ व्यवहार किया है।

17) तू धन्य है, क्योंकि तूने हमारी दो एकमात्र सन्तानों पर दया की है। प्रभु! उन्हें कृपा और सुरक्षा प्रदान कर। वे आनन्द में जीवन बितायें और अन्त तक तेरे कृपापात्र बने रहे।"

18) इसके बाद उसके अपने नौकरों को भोर से पहले क़ब्र भरने का आदेश दिया।

19) उसने अपनी पत्नी को बहुत-सी रोटियाँ सेंकने को कहा। वह अपने पशुओं में से दो गायें और चार मेढ़ें चुनने गया और उन्हें ले आ कर उसने उनका वध करने का आदेश दिया। इसके बाद नौकर विवाहोत्सव की तैयारी करने लगे।

20) उसने टोबीयाह को बुलाया और शपथ खाते हुए कहा, "तुम चैदह दिन तक यहाँ से नहीं जाओगे। तुम यहाँ रह कर मेरे साथ खाओगे-पिओगे और तुम यहाँ रह कर मेरे साथ खाओगे-पिओगे और मेरी बेटी का जी बहलाओगे; क्योंकि उसे बहुत दुःख सहना पड़ा।

21) मेरी आधी सम्पत्ति स्वीकार करो और अपने पिता के पास सकुशल लौटो। शेष सम्पत्ति तुम्हें मेरी और मेरी पत्नी की मृत्यु के बाद मिलेगी। पुत्र! ढारस रखो। मैं तुम्हारा पिता हूँ और एदना तुम्हारी माता है। हम अब से और सदा के लिए तुम्हारे और तुम्हारी बहन के अपने हैं। पुत्र! तुम ढ़ारस रखो।"



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